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11/01/2025 Nandini Story Views 117 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
परिवार के साथ खुशियां बांटना और साथ चलना ही असली सुख है।

सर्द मौसम में आप पति के साथ संभोग करने ही वाली हैं कमरे में चारो तरफ सर्द का माहौल है, पर कंबल के अंदर गर्मी उफान मार रही है, तभी आप को कोई बुलाने लगे तो ये आप के लिए कैसा अनुभव होगा ? मैं और विवान, देहरादून के रहने वाले थे। हम दोनों JBIT से बी.टेक कर रहे थे और यह हमारा आखिरी सेमेस्टर था। विवान पढ़ाई में बहुत होशियार, सादगीपूर्ण व्यक्तित्व वाले और बेहद हैंडसम थे। कॉलेज की बहुत सारी लड़कियां उन पर लाइन मारती थीं, लेकिन विवान किसी पर ध्यान नहीं देते थे। बी.टेक की समाप्ति के साथ ही हमें कैंपस प्लेसमेंट मिला, और दोनों को बेंगलुरु के डिस्कवर ऑफिस के लिए नियुक्त कर लिया गया। बेंगलुरु में किराए पर घर ढूंढ़ना कठिन था, इसलिए मैंने पेइंग गेस्ट में एक बिस्तर और विवान ने एक बॉयज हॉस्टल में जगह ले ली। ऑफिस में काम करते हुए हमारी मुलाकातें बढ़ने लगीं, और धीरे-धीरे मुझे विवान से प्यार हो गया। उसकी सादगी, उसका व्यवहार, उसकी आँखों की चमक, सब कुछ दिल को छूने वाला था। मैंने विवान से शादी का जिक्र किया, और कुछ समय बाद विवान शादी के लिए राजी हो गए। हम दोनों के परिवारों की रज़ामंदी से शादी हो गई और हमने यूरोप में हनीमून मनाने के बाद, देहरादून में कुछ दिन बिताए और फिर बेंगलुरु वापस लौट आए। विवान ने हमारी दोनों की सैलरी के आधार पर एक बैंक से लोन मंजूर करवा कर तीन बेडरूम का घर खरीद लिया। मैंने कहा कि मैं अपने पापा से पैसे ले सकती हूँ, लेकिन विवान ने मना कर दिया। वे खुद्दार और सादगी पसंद थे। हमारी शादी के डेढ़ साल बाद एक बेटा हुआ। विवान उसे अपनी गोद में सुला कर उससे घंटों बातें करते। हमारा घर प्यार और खुशियों से भरा था। एक दिन जब हम काम पर थे, तो हमारे घर में अचानक आग लग गई। फायर ब्रिगेड ने आकर आग बुझाई, लेकिन बहुत सारा सामान जल गया था। इस हादसे ने मुझे तोड़ दिया था, लेकिन विवान ने मुझे संभाला। उन्होंने कहा, "रितिका, चिंता मत करो, सब कुछ फिर से बन जाएगा। माता-पिता को इस बात से परेशान करने का कोई फायदा नहीं है। धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।" विवान की यह बातें सुनकर मेरे मन का सारा डर खत्म हो गया। उस समय मुझे एहसास हुआ कि एक पुरुष परिवार का मजबूत स्तंभ होता है, जो हर मुश्किल में सबको संभालता है। समय के साथ हमारे जीवन में फिर से खुशियाँ लौट आईं। हमारा बेटा भी अब पांच साल का हो चुका था, और विवान की मेहनत और लगन के कारण उन्हें अमेरिका के प्रोजेक्ट पर भेज दिया गया। वहां उन्होंने एक सुंदर सा बंगला और दो गाड़ियां खरीदीं। अब विवान के मम्मी-पापा भी हमारे साथ रहने लगे हैं और मैं उनके साथ बहू होने का कर्तव्य निभा रही हूँ। हमारे बेटे को दादा-दादी का प्यार मिल रहा है और वह भी बहुत खुश है। परिवार के साथ खुशियां बांटना और साथ चलना ही असली सुख है। विवान जैसे जीवनसाथी का होना किसी भी व्यक्ति के लिए सौभाग्य की बात होती है। उन्होंने हमें एकजुट रखा और जीवन को सुंदरता से जीने की प्रेरणा दी।

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