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11/08/2024 Kajal sah Story Views 286 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
कहानियाँ चतुराई और हाथी की नकल

18 वीं सदी की बात है। तब कृष्णचन्द्र बंगाल के नदिया के राजा हुआ करते थे। उनके दरबार में गोपाल भांड एक नवरत्न थे। वह अपनी समझदारी और चतुराई से किसी भी समस्या का हल ढूंढ लेते थे। एक बार राजा कृष्णचंद्र के दरबार में बाहर से कोई विद्वान पुरुष ने अपना परिचय संस्कृत, अरबी और फ़ारसी समेत कई प्राचीन भाषाओं में दिया। जब वह चुप हुए तो राजा कृष्णचन्द्र ने अपने दरबारियों की ओर प्रश्न भरी नजरों से देखा कि बताओ इसकी मातृभाषा क्या है? लेकिन दरबारी यह अनुमान न लगा सके कि दरबार में पधारे पंडित जी की मातृभाषा क्या है? सभी चुप दरबार में सन्नाटा छा गया। राजा कृष्णचन्द्र ने गोपाल भांड से पूछा क्या तुम कई भाषाओं के ज्ञाता अतिथि पंडित की मातृभाषा बता सकते हो? गोपाल भांड ने बड़ी विन्रमता के साथ कहा, महाराज, मैं तो भाषाओं का जानकर नहीं हूं, फिर भी यदि मुझे अपने हिसाब से पता करने की छूट दे दी जाये, तो शायद मैं यह काम कर सकता हूं राजा कृष्णचंद्र ने स्वीकृति दे दी। सभा समाप्त होने के बाद सभी दरबार सीढ़ियों से उतर रहे थे। तभी गोपाल भांड अतिथि पंडित के पीछे गए और उसे जोर धक्का दे दिया। पंडित गिर गए, उन्हें चोट भी लगी। चोट और अपमान से तिलमिलाते हुए उन्होंने गोपाल भांड को अपशब्द कहने शुरू किये। अब सभी जान गये थे कि उनकी मातृभाषा क्या है। गोपाल भांड ने विन्रमता से कहा, देखिये तोते को आप राम - राम और राधे - श्याम सिखाया करते है। वह भी हमेशा राम - राम या राधे - श्याम सुनाया करता है। लेकिन जब बिल्ली आकर उसे दबोचना चाहती है, तो उसके मुख से टें- टें के सिवाय और कुछ नहीं निकलता। आराम के समय सब भाषाएं चल जाती है, लेकिन विपदा आती है तब मातृभाषा ही काम देती है। अतिथि पंडित अब गोपाल भांड की चतुराई पर चकित थे। कहानी - हाथी की नकल एक तालाब के किनारे कुछ गधे घास चर रहे थे। उन्होंने कि उस तालाब में बहुत से हाथी तैर रहे हैं। उनसे कुछ दुरी पर बच्चे पानी में खेल रहे थे। उन्हें अपनी किस्मत पर बहुत अफ़सोस हुआ कि किस तरह सब आंनद ले रहे है और वे हमेशा मेहनर करते रहते है। उन्होंने जोश में आकर अपनी रस्सी तोड़ दी और पानी में उतर गए। कुछ ही दूर जाने पर पानी गहरा था। वे उसमें डूबने लगे। उन्होंने मदद के लिए चिल्लाना शुरू कर दिया। यह दृश्य देखकर हाथी उनकी और तैरते हुए आये और उन्हें तालाब से बाहर निकाल लाये। बाहर आकर उन्होंने गदहों से पूछा कि वे तालाब में क्या करने गए थे? एक गदहा बोला कि हम तुम्हारी तरह जल में तैरने का आंनद लेना चाहते थे। हाथी ने उन्हें समझाया कि जब तक कोई काम करना ना आता हो, उसे करने की कोशिश करना ही मूर्खता कही जाती है। अगर कोई नया काम करना हो, तो पहले उसकी जानकारी हासिल कर लेना अच्छा रहता है। धन्यवाद

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