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21/01/2025 Kajal sah General Views 42 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
कविता:यदि आयेगा डालर

यहाँ हमारी जन्मभूमि पर यदि आयेगा डालर तो वह सौदा - सुलुफ बेचकर, मातृभूमि का सारा सोना ले जायेगा ; अमरीका में अपनी सड़कें, उस सोने की बनवायेगा ; और चलेगा उस पर सजकर तामझाम से, वह शराब के प्याले पीता। उसके मंत्री और मित्रगण, राजकाज के सब अधिकारी उसके पीछे साथ चलेंगे। वह अपने साम्राज्यवाद के घोर नशे में, भारतीय पूंजीपतियों से साँठ - गाँठकर, क्रय दिल्ली की राजनीति कर लेगा ; नेहरू और पटेल आदि की मति हर लेगा। फिर मारेगा जालिम कोड़े; खून हमारा बह निकलेगा। पीठ हमारी छिल जायेगी; बंद करेगा हमें जेल में रोजगार भी अपने हित का खूब करेगा; और हमारे तन की चमड़ी अपने 'ड्रम ' के मुँह पर मढ़कर उसे बजाकर, तानाशाही की प्रभुता का शोर करेगा। हम उसके बर्बर शासन से मिट जायेंगी ; हम उसके दुर्दम शोषण से मर जायेंगे; लेकिन हॉलीवुड के भीतर वह नाचेगा औ' गायेगा, मिस अमरीका के प्रिय ओंठों पर, सौ - सौ चुम्बन बरसायेगा!! कवि - केदारनाथ अग्रवाल धन्यवाद

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