मैं एक नारी हूँ बेटी, माँ, बहु सभी में समाई एक सशक्त नारी हूँ मैं। जीवन की हर मुस्कान की शुरुआत हूँ मैं जीवन की हर मुसीबतों से लड़ने वाली मज़बूत कड़ी हूँ मैं ऊर्जापूर्ण एक नारी हूँ मैं। अब ना मैं कमजोर ना अब मैं भयभीत नारी हूँ अपने परों को खोलकर ऊँची असामानों में उड़ने वाली एक मजबूत नारी हूँ मैं। मृदु मिट्टी से बनी अब मैं कोई खिलौना नहीं हूँ लोगों की डर से पीछे हट जाने वाली अब वह नारी नहीं हूँ मैं रूढ़िवादी सोच को अपनाने वाली अब वह नारी नहीं हूँ मैं भयभीत को मिटाकर जीत हासिल करने वाली अपने परों को खोलकर ऊँची उड़ान भरनेवाली सशक्त नारी हूँ मैं। धन्यवाद :काजल साह :स्वरचित