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29/11/2023 Kajal sah Family Views 288 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
कविता :फरिश्ता
जन्नत की सैर में
मैंने किसी फरिश्ते को देखा है
पैर में छाले लेकर
किसी मजदूर को
चलते देखा है
दुख, दर्द, पीड़ा व्यथा
सारे गमों को सहकर
अपने बच्चों के लिए
एक बाप को हँसते देखा है।

सुख, चैन, सपने, नींद
एक पिता सब त्याग देता है
खुद ना खाकर
अपने बच्चों को भरपेट खिलाता है
अपने कंधों पर बैठाकर
पूरी दुनिया घूमाता है।

जन्नत की सैर में
रब के रूप में
मैंने अपने पापा को देखा है
मेरे सपनों को भी पापा
.... उड़ना सिखलाते है
जन्नत की सैर कराते है
मेरे पापा दोस्त बन जाते है।

धन्यवाद
काजल साह
                             

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