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06/12/2024 Manorama Kumari Event Views 174 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
एक महिला

मैं फ्लाइट में अपनी सीट पर बैठा ही था कि मेरी बगल वाली सीट पर एक महिला आकर बैठी। शक्ल सूरत से वो प्रोफेसर लग रही थी। मुझे देखकर मुस्कुराई ओर बोली बेंगलुरु जा रहे हो? ये दिल्ली - बेंगलुरु की डायरेक्ट फ्लाइट थी इसलिए मैंने जवाब देना उचित नहीं समझा । वो मेरे भाव समझ गईं ओर अपनी ही बात पर हँसने लगी। शायद बात करना चाहती थीं। मेरी उम्र देखकर फिर बोली, बेटे को मिलने जा रहे हो। अब तक मैं समझ गया था कि उसे सफर में कंपनी चाहिये। मैंने संशेप में उत्तर दिया, नहीं, बेटी से। उसने बात आगे बडाई, और बेटा? मुंबई में था, मैंने कहा। उसने मेरी बात को पकड़ा और बोली था का मतलब..? मेंने कहा, था का मतलब.. था। क्या वो विदेश चला गया है? उसने पूछा। मैंने कहा नहीं। फिर थोड़ा रुक कर बोली, आई एम सॉरी, क्या वो अब इस दुनियां में नहीं है ? मैने जवाब दिया, हैं, पर शायद नही है। उसने फिर पूछा, क्या कोई एक्सीडेंट हुआ था ? मेरा जवाब था नहीं, पर.....शायद हाँ ..वो एक हादसा ही था। अब उसकी उत्सुकता ओर बढ़ गई, सब कुछ जानने की। वो फिर बोली भाईसाब, में आपकी बात समझ नहीं पा रही हूं, आप हाँ और ना दोनो बोल रहे हो, जरा विस्तार से बताओ। मैंने बताना शुरू किया, 4 साल पहले इंजीनियरिंग करने के बाद बेटे आनंद की मुंबई में जॉब लग गई। रोज़ लोकल ट्रेन से आना- जाना होता था। कुछ महीने तक तो सब ठीक था, फिर ट्रैन में एक दिन एक लड़की मिली, फिर अक्सर मिल जाती। दोनो में बातचीत हुई, फिर दोस्ती और फिर प्यार। फिर एक दिन बेटे का फ़ोन आया कि मैंने शादी कर ली है और अपनी ससुराल में शिफ्ट हो गया हूँ। न उसने बताया कि ससुराल में कोन है, कहाँ हैं और न ही मेने पूछा। अगर उसकी मां जिन्दा होती तो फिर से मर जाती। इस बार मैंने पूछा, क्या माँ बाप औलाद को इसलिए पढ़ाते हैं ?? क्या औलाद की कोई जिम्मेदारी/ जवाबदारी नहीं होती?? मेरी बात सुनकर वो भावुक हो गई ओर पूछा कि क्या नाम बताया था बेटे का अंगद?? मैने हाँ मे सिर हिला दिया। फिर उसने अपने पर्स से एक फ़ोटो निकाल कर मेरी तरफ बड़ाई ओर पूछा क्या यही अंगद है? फ़ोटो देखकर मैंने पूछा तुम इसे कैसे जानती हो?? उसने मेरी बात का जवाब नहीं दिया ओर उसकी आँखों से आंसुओं की धाराएं बहनें लगी। वो बोली अंगद बहुत अच्छा लड़का है। मेरी बेटी और आपका बेटा एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे। इसी बात का फायदा उठाकर मैंने घर जमाई की शर्त रख दी और वो उसमें फस गया। शादी के लिये आपकी सहमति लेना चाहता था, परंतु मैंने अपने स्वार्थ के लिऐ ये सब किया। मुझे डर था कि आप शादी से इंकार कर देंगे। मेरे पति को गुजरे 6 साल हो गए हैं, औऱ इकलौती बेटी भी चली गईं तो मुंबई जैसे शहर मे अकेले कैसे रहूगी। वो मेरा ही दामाद हैं। आपकी गुनहेगार मैं हूँ, अंगद नही। उसकी बात सुनकर मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया ओर मैं खामोश बैठा रहा। कुछ समझ नहीं आया कि क्या प्रतिकिर्या दू। तभी उसकी आवाज मेरे कानों में पड़ी, मैंने आपको आपके बेटे से दूर किया था, अब मैं ही उसे आपसे मिलवाउगी। बेंगलुरू पहुंच कर वो मेरे साथ साथ लगेज बेल्ट की औऱ चलती रही औऱ फोन पर किसी से बातें करती रही। सामान लेकर हम बाहर निकले तो देखा कि सामने अंगद खड़ा था। साथ में शायद उसकी पत्नी थी। अंगद मुझे देखकर मेरे पैरों से लिपटकर रोने लगा और बोला पापा मुझे माफ़ कर दो, मैंने बहुत बड़ा अपराध किया हैं, आप जो सजा देगे मुझे मंजूर हैं। आखिर बाप का दिल था, उठाकर गले से लगा लिया। मेरी आँखों में भी ऑंसू थे परंतु अंगद की सास मुस्करा रही थी, शायद वो इसे अपनी जीत समझ रही थी। तभी अंगद बोला पापा, ये आपकी बहू है। चलो घर चलते हैं, बाकी की बातें घर पर करेगे। हम सब कार में बैठे और अंगद ने कार चला दी। मैं बोला, कार वाइट फील्ड ले चलो। क्या अपनी बहन से नहीँ मिलोगे? कार वाइट फील्ड की तरफ चलती रही और मैं सोचता रहा कि..... क्या बिन माँ के बेटे की परवरिश में मैं नाक़ाम रहा? क्या मेरे बेटे को उसके प्यार ने अन्धा बना दिया? या उसकी सास अपनी साजिश में कामयाब हो गई? आप ही फैसला कर के बताए की गुनेगार कौन है ?

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