रात का वक़्त था मैं ड्यूटी से छुट्टी करके घर लौटा ही था कि_ उस दिन मां बड़ी चिंतित थी मेरे घर आते ही बोली दवाई मैंने ले ली है और गोली भी खाली अब मेरी बात सुनो गौर से... मेरी उम्र का कुछ ठिकाना नहीं कब ऊपर वाले से मेरा बुलावा आ जाए तेरी बड़ी बहन की शादी हो गई तेरे बड़े भाई की शादी हो गई मैं चाहती हूं अब तेरी भी शादी हो जाए पैसों की तू फिकर ना कर लड़की मैंने देख ली है मैं भी फिर हार चुका था उम्र 28 के पार हो चुकी थी और उस रात में कुछ ना कह सका कुछ दिन बाद मेरी शादी तो हो गई लेकिन मुझे बाद में पता चला हमारे मकान के कागज पड़ोस के शर्मा जी के पास गिरवी पड़े हैं कर्ज दिन पर दिन और बढ़ने लगा तब मां ने मकान बेचने का फैसला लिया उसे पता था कि अब सब बच्चों की शादी हो गई कर्ज अब कोई नहीं चुका पाएगा इसलिए उसने दूसरे शहर में एक बना बनाया मकान खरीदा उसमें केवल दो ही कमरे थे रात ही रात ट्रक में सारा सामान लादकर हम नये घर की ओर चल पड़े मां ने नीचे वाला ग्राउंड फ्लोर मुझे दे दिया और ऊपर वाला फर्स्ट फ्लोर बड़े बेटे को दे दिया और खुद पिता के साथ छत के ऊपर दोबारा तंबू बनाकर रहने लगी मुझसे यह देखा ना जाता था किंतु मेरी भी नई नई शादी हुई थी बीवी भी नई थी बूढ़े मां बाप सीढ़ियों पर चढ़ उतर नहीं सकते थे इसलिए मैंने एक फैसला लिया दूर कहीं एक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी ढूंढी फिर वहीं पास में ही एक किराए का कमरा लिया और अपने बीवी बच्चों के साथ रहने लगा जब मैं कुछ महीनों तक घर ना लौटा तो बूढ़े मां बाप को मजबूर होकर नीचे वाले ग्राउंड फ्लोर पर रहना पड़ा आज मुझे 9 बरस हो चुके हैं घर से निकले मैं घर लौट कर नहीं गया मुझे उस दिन सुकून मिला जब पता चला मेरे बूढ़े मां बाप छत से उतर कर अब नीचे ग्राउंड फ्लोर में रहते हैं सर्दी की ठंडी हवाओं से बचते हैं गर्मी की बारिश से बचते हैं मुझे इंतजार रहता है अपनी तनख्वाह का और खुशी रहती है जब मैं अपने बूढ़े मां बाप को मोबाइल से पेटीएम करता हूँ।