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12/07/2023 Kajal sah Story Views 236 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
कहानी - लगाव (पार्ट -2)
ना जाने उसे किसकी बुरी नज़र लग गई थी, कि वह पहले जैसा था ही नहीं। उसकी आवाज (भौ -भौ ) सुने बहुत दिन हो गए थे। जब वो उस सुबह हमारे घर आया था , उसके शरीर पर बहुत सारे चोट थे, पापा ने दवा खरीद के उसके जख्म को पापा ने भर दिया था,लेकिन उसकी समस्या से हम अंजान थे। कुछ दिनों बाद  उसकी खाने कि क्षमता कम हो गई, जो पप्पी हमारा बहुत तेज़ी से मांस को खाया करता था, लेकिन ना तो वो ठीक से खाना खा रहा है, ना ही हमारे साथ पहले जैसा व्यवहार है।
हम इंसान है, हम अपने समस्या को बोल कर प्रकट कर सकते है लेकिन वो तो एक छोटा सा जानवर है, जो अपने पीड़ा को अपने अंदर सिमित करके दर्द को महसूस कर सकता है। लेकिन पापा उसको बहुत ज्यादा प्यार करते थे, इसलिए उसकी परेशानी को मिटाने का उन्होंने पूरी कोशिश। अब एक समय ऐसा भी आ गया था, जब हमारा पप्पी ना तो खाना, जल कुछ नहीं कहा रहा था, केवल आँखों से उसके आंसू एवं सिर उसके ठनक रहा था। हम सभी मिलकर पूरी कोशिश करते उसे खिलाने का, मम्मी उसका तेल - मालिस,पप्पी के दवाई को अपने हाथ से खिलाती थी, पापा रोज उसके सामने नाच के, भौ -भौ करके दिखाते थे। लेकिन उसके तरफ कोई प्रतिक्रिया नहीं आती थी, ना ही वो खाना खाता, ना ही पानी पीता, सिर्फ एक जगह सोया रहता। पापा के लिए यह बहुत बड़ी चिंता का विषय बन गया था, लेकिन हम सभी पूरी कोशिश कि पप्पी को जीवित रखने कि उसके।
3 दिन खाना एवं पानी उसने नहीं खाया लेकिन वो जीवित था।फिर दीदी उसके लिए दवाई लाई खरीद के बहुत बड़ा एनिमल्स हॉस्पिटल से। वो दवाई हमलोग ने उसके मुँह में डालने का निरंतर प्रयास से उसने सेवन कर ली। रिजल्ट दिख रहा था, लेकिन वो अन्न एवं जल दोनों का सेवन नहीं कर पा रहा था। घर में कोई भी ठीक से खाना नहीं खा रहे थे। एक समय यह भी आ गया था, जब हमारे पप्पी के शरीर में बहुत सारी मक्खी बैठ रह थी। लेकिन जब मैंने और पापा ने दृश्य देखा तब हमसे रहा नहीं गया, हमने जबर्दस्ती उसे पानी के कुछ बून्द पिलाया। पप्पी अपने मुँह को खोल ही नहीं रहा था। फिर मम्मी ने एक चम्मच के माध्यम से उसके मुँह को खोलने का प्रयास किया, और यह प्रयास सफल भी हुआ। उसके दांत पुरे एक दूसरे दाँत के साथ जम गए थे, अब दाँत छूटने पर उसने जैसी ही पहला निवाला खाया, मेरे आँखों से बड़ी तेज़ी से आंसू गिरने लगे लेकिन यह आंसू दुख के नहीं सुख के थे। मम्मी ने शिव चर्चा भी रखा था, जब पप्पी ठीक हो जायेगा। पापा को जैसे ही पता चला पापा काम में थे, वे ख़ुशी के मारे रास्ते में ही नाचने लगे।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
वो दिन हमारे जीवन का सबसे घातक दिन था, क्युकी उसी दिन घर से फोन चोरी एवं घर से पैसे चोरी हो गए। चोरी 2 बजे सुबह के आस - पास हुई थी और पप्पी 10 बजे सुबह तक खाना खाने लगा।
लेकिन रात 7 बजे पापा ने सोचा कि उसका सिर अभी भी ठनक रहा एवं सांस वो तेज़ी ले रहा है, इसलिए पापा ने उसे एनिमल हॉस्पिटल ले गए। पापा और दीदी डॉक्टर ने जो दवा बताई वे खरीद रहे थे एवं उसी हॉस्पिटल के कर्मचारी से दवाइयों को लेकर बहस होने लगा, उसी टैक्सी में पापा ने पप्पी को रख आया था, झगड़ा रोकने के लिए टैक्सी वाला भी दवाई के दुकान के पास चले गए।
जब तक पापा दवाई लेकर टैक्सी के पास पहुँचे तब तक पप्पी गाड़ी से बाहर जा चूका था। दीदी रोने लगी, पापा रोने लगे एवं हर जगह तलाश उन्होंने किया लेकिन अंत में निराशा हासिल हुई।
आज उसके जाने का 1 दिन हो चूका है, लेकिन हम रोज उसका इंतजार करेंगे।
दिल कह रहा है हमारा पप्पी आएगा।
धन्यवाद
काजल साह
स्वरचित
                             

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