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12/07/2023 Kajal sah Romance Views 275 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
कविता: छोड़ कविता : कम होते है वे
कविता : छोड़
कहिं इन नज़रों में
तुम्हारा अक्स देख
इसलिए हमने लोगों से
नज़रें मिलाना छोड़ दिया
दिल कि धड़कन में
छुपे हो तुम, यह जान न ले कोई
इसलिए हमने दिल है
हमारे सिने में भी, यह बतालाना
छोड़ दिया
तुम्हारी यादें तन्हाई में
रुलाती है, हमें
यह कह ना सके कोई
इसलिए हमने आंसू बहाना छोड़ दिया
दर्द -ए - मोहब्बत के सिवा
कोई और दर्द छू न सके हमें
इसलिए हमने उन
जख्मो को सुखाना छोड़ दिया।
धन्यवाद
मेरी दादी चम्पा साव के माध्यम से रचित।

2. कम होते है वे

राहों को जो हमारी जगमगा दे
वे प्राण गीत कम होते है
प्रकृति को जो महका दे
वे फूल बहुत कम होते है
जिंदगी को मिठास से भर दे
वे शुकुन बहुत कम होते है
मंजिल तक साथ दे
वे हमराह बहुत कम होते है
दिल को खुशियों से भर दे
वे पल बहुत कम होते है
दूसरों के दुःख कक कम कर दे
वे हमदर्द बहुत कम होते है।
धन्यवाद
मेरी दादी के माध्यम से रचित काव्य 🙏
                             

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