किसी ने बिल्कुल सही कहा है - बच्चे दिल के सच्चे होते है। कहा जाता है कि बच्चे गीली मिट्टी की भाँति होते है, उन्हें जिस रूप में बनाया जाये, बच्चे उस रूप में ढल जाते है। लेकिन आपको पता है छोटे बच्चों से हम बड़े बहुत कुछ सीख सकते है,लेकिन हम क्या वास्तव में सीखना चाहते है या हम जानते ही नहीं है कि बच्चों से क्या सीख सकते है। बच्चों से सीखना एक श्रेष्ठ कला है, जिससे आप जीवन के विभिन्न पहलुओं अच्छे से समझ सकते है।
पिछले दिन की ही बात है, मैंने अपने विद्यार्थी को उसके गलती के खूब डांटा लेकिन कुछ ही पल में वह बच्चा सब भूल कर अच्छे से पढ़ना उसने शुरू कर दिया। हमें बच्चों से सीखना चाहिए - भूलने की कला, हमेशा खुश रहने की कला, प्रश्न पूछने की कला इत्यादि। इसलिए आप जितने भी उम्र क्यों ना हो जाये हमेशा याद रखे उम्र भले ही हो पचपन हो लेकिन दिल बचपन वाला होना चाहिए.. 😊
चलिए जानते है कि हम छोटे बच्चों से क्या सीख सकते है :
1. जिज्ञासु : जब मैं अपने छोटे कक्षा के विद्यार्थी को विभिन्न प्रश्न पूछते हुए देखती हूं, तब मुझे बहुत अच्छा लगता है, क्युकी मैं उन बच्चों से यह सीख सकती हूं कि हमें हमेशा जिज्ञासु बनकर रहना चाहिए।
आज जितने भी बड़े - बड़े अविष्कार हुए है, आज हम सुविधापूर्वक जीवन जी रहे है, सभी का प्रमुख कारण है कि इंसान के जिज्ञासा के कारण। आप अपने प्रश्न का उत्तर एवं अपने जिज्ञासा का हल विभिन्न माध्यम से जान सकते है, जैसे :
1. इंटरनेट
2. व्यक्ति
3. किताब
4. इंटरव्यू
5. एक्सपेरिमेंट
इत्यादि।
2. हार : आपको दो जीव की कहानी सुनाती हूं, कल रात 12 बजकर 40 मिनट हो रहा था, तब मैंने एक चींटी को चावल का बहुत छोटा टुकड़ा वह कई बार उठाने का उसने प्रयास किया लेकिन बार - बार गिर जा रहा था, क्युकी उस चींटी के लिए भारी था। लेकिन उसने कोशिश जारी रखी और कोशिश करते - करते वो अपने भोजन को अपने पीठ पर लादकर अपने मंजिल तक पहुँच गई। लगभग 1 बज चुके थे। और दूसरी कहानी मेरा एक स्टूडेंट है मोहित। कई टेस्ट में वह फेल हो रहा था, मुझे लगा इस बार भी फेल हो जायेगा लेकिन इस बार उसने अपने कक्षा में टॉप किया। जब मैंने उससे पूछा कि मोहित तुमने यह कैसे किया? तब उसने कहा मैम मै कभी हार नहीं मानता.. वह बच्चा केवल कक्षा 4 का स्टूडेंट है।
हमारे जीवन में कैसी भी कठिन सिचुएशन क्यों ना आ जाये, हमें कभी हार नहीं मानना चाहिए.. बच्चों की तरह। क्युकी जब आप हार मान जाते है तब कोई और आपके मंजिल तक जल्दी पहुँच सकता है, इसलिए हार से सीखे।
3. प्रेजेंट : बच्चों में आपने देखा होगा, वह प्रेजेंट मोमेंट्स जीते है। छोटे बच्चे पास्ट की बातों का चिंता नहीं करते है। हमें इन बच्चों से सीखना चाहिए कि हमें प्रेजेंट में जीना है। अगर हम एन्जॉय कर रहे है तब हम केवल एन्जॉय कर रहे है और अगर कार्य कर रहे है तो केवल कार्य। इसलिए यह जरुरी है कि प्रेजेंट में अच्छा कर्म करे और आगे बढ़े। आपका भविष्य प्रेजेंट के कार्यों के माध्यम से ही तय होता है इसलिए वर्तमान समय का हमेशा सदुपयोग और सत्यकार्य में व्यतीत करे।
4. कल्पना : मेरा स्टूडेंट मोहित.. मुझे उसकी सबसे अच्छी क्वालिटी लगती है... कि वो कल्पना में खोया तो रहता है लेकिन अपने कल्पनाशक्ति के माध्यम से विभिन्न चित्र, विभिन्न उपकरण,अपने बेस्ट क्रिएटिव के माध्यम विभिन्न कार्यों का सलूशन ढूंढ़ लेता है। अगर आपको जीवन में अपने लक्ष्य की प्राप्ति करनी है, आगे बढ़ना है तब अपने कल्पना शक्ति को मजबूत करे। क्युकी आप जितना इमेजिनशन करते है आपका माइंड पावर, कार्य शक्ति, क्रिएटिविटी में निखार आता है। आप भी विभिन्न समस्या का हल, विभिन्न कठिन कार्यों, नया निर्माण करने लगते है। इसलिए जब भी समय मिले तब अच्छे - अच्छे कार्यों एवं बातों को इमेजिनशन करे।
खेल : जब बच्चे खेलते है तब दिल, मन और तन से खेलते है। इसलिए उनमे ऊर्जा, ख़ुशी पर्याप्त होती है। लेकिन आज बहुत सारे युथ ऐसे भी है जिन्होंने अपने जीवन में आउटडोर गेम आउट ही कर दिया है और ऑनलाइन गेम में व्यस्त हो चुके है। लेकिन यह सही नहीं है... हमें बच्चों खेल भावना को सीखना चाहिए, जो आउटडोर के प्रति है। क्युकी आउटडोर गेम खेलने से स्ट्रेस, दुख इत्यादि सब अंत होने लगता है। इसलिए बच्चों से यह जरूर सीखे कि कैसे खेला और हँसा जाता है। जब आपने सीख लिया यह सब तब यकीन मानिये आप चिंतमुक्त, तनावमुक्त रहिएगा।
5. प्रदान : यह शरीर नाश्वर है। और मानव जीवन बहुत अल्प है, तब क्यों हम लड़कर, किसी को दुख पहुँचाकर इत्यादि गलत कार्यों को करके खुश होते है। हमें बच्चों से सीखना चाहिए कि कैसे बच्चे शीघ्र ही सब को माफ़ कर देते है। बच्चों से हमें माफ़ करने का कला जरूर सीखना चाहिए क्युकी यह गुण बहुत जरुरी है रिलेशनशिप में।
लर्निंग इज़ फन : बच्चों में मैंने अत्यधिक देखा है कि वे हमेशा नये - नये कार्यों को, नया खेल इत्यादि सिखने के प्रति बहुत उत्साह रहते है। हमें भी यह क्वालिटी गुण जरूर से जरूर सीखना चाहिए कि लर्निंग मजे के साथ सीखे, क्युकी तब आप जल्द ही सीख जायेंगे।लर्निंग को फन, उत्साह में सीखे।
प्रेम : बच्चे सभी को उत्साह और बिना किसी भेद भाव के साथ करते है। हमें बच्चों से सीखना चाहिए कि हमें सभी को सच्चे दिल से प्रेम करना चाहिए, स्वार्थ के उद्देश्य से बिल्कुल नहीं है। क्युकी प्रेम का रास्ता बहुत पतला होता है.. इसलिए प्रेम सरल, सुगम और ईमानदारी के साथ करे
# जॉय :छोटे बच्चे हर छोटी - छोटी ख़ुशी, कार्यों को महत्व देते है। हम बच्चों को यह जरूर सीखना चाहिए कि जिस प्रकार हर बच्चे हर पल को आनंद में जीते है और हर अच्छे कार्यों कार्यों को महत्व देते है.. हमें भी बुरे पलो को भूलकर अच्छे कार्यों, खुशियों को हमेशा महत्व देना चाहिए। साथ ही साथ बच्चे लोगो को बिना जजमेंट के देखते है और यह गुण जरूर बड़े लोगो को भी जरूर अपनाना चाहिए।
यह कुछ बेहद महत्वपूर्ण गुण है, जिससे हम बड़ो जरूर अपनाना चाहिए। बच्चों का गुण श्रेष्ठ कला की तरह है, जिससे हम धीरे - धीरे अपने जीवन में लाना चाहिए। लेकिन यह गुण जरूर हमें अपने जीवन में लाना चाहिए।
धन्यवाद
काजल साह
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