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12/07/2024 Kajal sah Development Views 361 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
युथ - 2024

हम क्यों गलतियां करते हैं? इसलिए कि हम दुर्बल हैं। हम दुर्बल क्यों है? इसलिए कि हम अज्ञानी हैं। हमें अज्ञानी कौन बनाता है? हम स्वयं ही। हम अपनी आँखों को अपने हाथों से ढक लेते हैं और अंधेरा है, अंधेरा है कहकर रोते है। हाथ हटा लो, तो प्रकाश ही प्रकाश है। यह अनमोल वचन स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था।आज भारत में देश लगभग 65% प्रतिशत हिस्सा युवाओं का है। यह युवा आपदा को अवसर में बदलने का प्रबल सामर्थ्य रखते है। लेकिन वर्तमान में युवा ऐसे बहुत सारी आदतों को अपने जीवन में अपना ले रहे है.. जिनसे उनका क्षय, समाज का क्षय एवं देश का क्षय हो रहा है। वास्तव में युवा किसे कहते है? युवा वह है, जिनके हाथों में शक्ति, पैरों में गति, हृदय में ऊर्जा एवं आँखों में सपने होते है। युवा अर्थात जोश युवा अर्थात उमंग एवं युवा अर्थात विकास की नयी लहर। युवा ही देश के भविष्य होते है.. अर्थात इस अखण्ड राष्ट्र के निर्माण करने की योग्यता भी रखते है। आज इस निबंध के माध्यम से हमें यह जानेंगे कि ऐसी कौन -कौन सी बुरी आदतें है? जो युवा अपने जीवन में उतार रहे है। इन आदतों को कैसे जीवन से दूर करे.. इसका हल क्या है? इन मुख्य बिंदुओं पर आज मैं आपको बताने वाली हूं। आदत : मनुष्य के चरित्र का निर्माण कैसे होता है? मनुष्य के चरित्र का निर्माण आदतों के समूह से होता है। अगर हम नित सकारात्मक विचार, सकारात्मक कर्म करेंगे.. तब हमारा चरित्र भी श्रेष्ठ बन सकता है। लेकिन अगर हम नित बुरे विचार, बुरे कर्म करते है.. तब हमारा चरित्र भी दुर्गुणों से पूर्ण हो सकता है। हम रेशम के कीड़े के समान है।हम अपने आप में से ही सूत निकालकर कोष का निर्माण करते है और कुछ समय के बाद उसी के भीतर कैद हो जाते हैं। कर्म का यह जाल हमी ने अपने चारों ओर बुन रखा ह। अपने अज्ञान के कारण हमें यह प्रतीत होता ह कि हम बद्ध ह और इसलिए सहायता के लिए रोते - चिल्लाते है। पर सहायता कहीं बाहर से तो नहीं आती, वह तो हमारे भीतर से ही आती है। आज वर्तमान में युवा अपने जीवन में नकारात्मक विचारों को स्थान दे रहे है। यह नकारात्मक विचार धीरे कर्म में परिवर्ततित हो जाता है एवं उसके बाद चरित्र बन जाता है। नकारात्मक विचार विषैला जहर की भाँति है, जो युवाओं को धीरे - धीरे नष्ट कर रहा है। युवाओं को अपने जीवन से नकारात्मक विचार, नकारात्मक लोग, नकारात्मक रिश्ते इत्यादि शीघ्रता से दूर करने का प्रयास करना चाहिए। 2. शिक्षा : मानव जीवन का सबसे अनमोल उपहार शिक्षा है। उचित ज्ञान से मनुष्य का आत्मविश्वास, आत्मज्ञान एवं मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है। स्वामी विवेकानंद जी नें अपनी पुस्तक शिक्षा में लिखा - हमें तो ऐसी शिक्षा चाहिए, जिससे चरित्र बने, मानसिक बल बढ़े एवं बुद्धि का विकास हो और जिससे मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो सके। अर्थात शिक्षा जीवन में सफलता की कुंजी है। लेकिन अधिकांश युवा अपनी पढ़ायी पर ध्यान नहीं देते है, महत्वपूर्ण कौशल नहीं सीख रहे। वर्तमान में दोस्तों के साथ अपने समय को बर्बाद कर देते है। ऐसे युवा के पास भविष्य में पछतावे के सिवा कुछ भी नहीं रहेगा। हर युवाओं को गंभीरता से समझना चाहिए कि शिक्षा विकास आधार है। पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया। युवाओं को अपनी शिक्षा को गंभीरता से लेना चाहिए और अपनी पूरी क्षमता तक पहुँचने का प्रयास करना चाहिए। 3. लक्ष्य : अत्यधिक युवा ग्रेजुएशन करने के बाद भी उनके पास एक सटीक लक्ष्य नहीं रहता। लक्ष्यहीनता के वजह से वे जीवन में आगे नहीं बढ़ पाते है। जब तक जीवन में सटीक लक्ष्य नहीं होगा.. तब समय, ऊर्जा एवं धन व्यर्थ होगा। इसलिए यह अनिवार्य है कि युवाओं के पास स्पष्ट लक्ष्य हो। उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए स्मार्ट प्लानिंग हो। बिना लक्ष्य के जीवन शून्य है।इसलिए स्व से ऊपर उठे.. कड़ी मेहनरत को अपना परम् मित्र बनाए। 4. हेल्थ : स्वास्थ्य हमारे जीवन का अमूल्य सम्पदा है। तन स्वस्थ तो मन स्वस्थ।हर युवाओं को अपने तन और मन को सशक्त एवं स्वास्थ्य बनाये रखना चाहिए। आज वर्तमान में युवा अस्वस्थ्य भोजन, व्यायाम की कमी, अनुचित नींद इत्यादि के कारण से उनके शारीरिक एवं मानसिक स्वस्थ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। उनकी सोचने की शक्ति, क्रिएटिव स्किल इत्यादि धीरे - धीरे नष्ट हो सकता है। अगर ही स्वस्थ ना हो.. क्या देश आगे बढ़ सकता है? उत्तर है नहीं। युवाओं को अपने जीवनशैली में स्वस्थ भोजन, नियमित व्यायाम, उचित नींद,अच्छा सुनना एवं अच्छा पढ़ना चाहिए। जिससे उनका विकास होगा। उनके विकास से परिवार, समाज एवं देश का विकास होगा। 5. प्रेम : मुझे देखकर एवं पढ़कर बहुत बुरा लगता है कि आज के युवा कहाँ जा रहे है? हम समस्त भारतीयों का स्वप्न है कि 2047 तक हमारा देश विकाशील से विकसित भारत बन पाए। लेकिन आज के कई युवा अपने करियर को त्याग कर प्रेम में अपना समय व्यर्थ कर रहे है। प्रेम करना गलत नहीं है लेकिन गलत रिश्ते में स्वयं को सम्मलित कर लेना.. यह गलत है। आज भारत में कई यंग लड़कियां शादी से पहले ही गर्भवती हो जाती है। व्यर्थ रिश्ते में युवा खुद को सम्मलित करके स्वयं को ही नुकसान पहुँचाते है। हर युवाओं का लक्ष्य अपने करियर की ओर होना चाहिए। भारत को किस तरह 2047 या उसे पहले कैसे विकसित राष्ट्र बनाये.. इसकी ओर होना चाहिए। ना कि प्यार - मुहब्बत में सम्मलित होकर अपनी ऊर्जा, समय एवं गुण को व्यर्थ करना। 6. कर्ज लेना : 18-20 के उम्र में अत्यधिक युवा अपने माता - पिता पर निर्भर रहते है।बहुत सारे युवा अपने पिता से पैसे लेकर व्यर्थ के कार्य ( पार्टी, दोस्तों के साथ घूमना, व्यर्थ के समान इत्यादि ) में बर्बाद कर देते है।जब पापा से पैसे पर्याप्त नहीं मिलता है.. तब दूसरों से कर्ज लेते है। जिससे आगे चलकर उनको बहुत कठिनायों का सामना करना पड़ता है। अगर उचित कार्य के लिए कर्ज लिया जाए तो.. यह सही भी हो सकता है। लेकिन फिजूल एवं अपने मन की इच्छा को पूर्ण करनें के लिए पापा एवं दूसरों को धन को बर्बाद करना.. पूर्ण रूप से गलत है। यह बेहद जरुरी है कि युवा फाइनेंसियल से संबंधित स्किल सीखे, महत्वपूर्ण कौशल सीखे। जिससे वे स्वयं पर निर्भर होकर अपनी पढ़ायी सुचारु से कर पाए। अपने धन को सही स्थान पर निवेश कर पाएंगे। 7. तुलना : हम सभी भगवान के संतान है। हम अपने जीवन में वह सब पा सकते है.. जो हम चाहते है। लेकिन आज डिजिटल युग में अनेक युवा सोशल मीडिया के प्लेटफार्म ( फेसबुक, इंस्टाग्राम इत्यादि ) के लोगों से स्वयं को तुलना कर रहे है। कई बॉलीवुड के एक्टर्स, एक्ट्रेस के लुक को कॉपी करने का प्रयास करते है। ईश्वर के हम सभी अंश है। हम अपना समय एवं ऊर्जा स्वयं को गंभीरता से जानने में खर्च करना चाहिए। यह सोशल मीडिया पर उपस्थिति क्या वास्तव में उनकी जीवन शैली ऐसी है? अत्यधिक मात्रा में नहीं। आज युवा घंटो व्यर्थ कर देते अपने पोस्ट पर लाइक पाने के लिए, कमेंट पाने के लिए। हर युवाओं से यही विनती है कि आप अपने शक्ति को पहचानिये, स्वयं का बेस्ट version बनिए।कॉपी - पेस्ट से दूर हटिये.. अपने जीवन को नए उम्मीद एवं लक्ष्य से पूर्ण कर लीजिये। 9. खुद पर विश्वास : आत्मविश्वास सबसे बड़ी औजार है। आत्मविश्वास सबसे बड़ी शक्ति है.. लक्ष्य तक पहुँचने के लिए। यह बेहद जरुरी है कि युवाओं को स्वयं पर विश्वास करना चाहिए। अपनी क्षमताओं पर, अपने हुनर एवं अपने कौशल पर। आत्मविश्वास के कमी के कारण ही कई युवा आगे बढ़ने का प्रयास नहीं करते है।आत्मविश्वास के आभाव के कारण से ही कई युवा अपने हुनर एवं अपनी क्षमताओं पर विश्वास नहीं करते है। स्वामी विवेकानंद जी कहते थे - ब्रह्माणड की सम्पूर्ण शक्ति हमारे पास है, लेकिन एक हम है कि हम हाथों से अपने आँखों को बंद कर लिया है.. और कहते है कि अंधेरा है.. अंधेरा है। हाथ हटा लो, प्रकाश ही प्रकाश है। अपनी शक्ति को पहचानिये.. एवं आगे बढ़िए। 10. सीख : सफलता क्या है? असफलताओं से सबक लेना ही सफलता है। अतीत में आपने जो गलतियां की है, उन गलतियों से सबक जरूर ले। अगर आप अतीत के गलतियों को बार - बार दोहराते है.. तब यह बहुत गलत है। यह मुर्खता का प्रतीक है। अतीत से सीख लेकर वर्तमान में कड़ी मेहनत करके ही भविष्य को सुनहरा एवं सुखद बनाया जा सकता है। धन्यवाद काजल साह

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