रूचि सीखने - सिखाने की प्रक्रिया को संचालित करने वाली केंद्रीय शक्ति है। हमारे प्रयत्नों का लक्ष्य विद्यार्थियों में सीखने की रूचि को विकसित करना होता है। रूचि बच्चों को केवल सीखने में ही सहायता प्रदान नहीं करती बल्कि उनके दृष्टकोणों, उनकी प्रवृत्तियों तथा अन्य व्यक्तित्व संबंधित विशेषताओ के निर्माण में भी सहायक होती है । यह उनके व्यक्तित्व के निर्माण की दिशा निद्रेशित करती है।
आज मैं आपको बताने वाली हूँ कि बच्चों के पढ़ाई में आप रूचि कैसे जागृत कर सकते हैं।
1. इंगेज : रूचि के बिना शिक्षा अधूरा है। एक शिक्षक होने के नाते कर्तव्य होना चाहिए कि शिक्षा को सरल, सुगम एवं प्रभावमयी बनाया जाए।एक अच्छे शिक्षक का सबसे अनमोल गुण होता है कि वह हर कठिन से कठिन विषय को रोचकपूर्ण, सुगम से बच्चों को पढ़ाते है। इसलिए उनके कक्षा को भी मिस नहीं करना चाहता। रुचिपूर्ण शिक्षा का सबसे सशक्त माध्यम है स्टोरी के साथ बच्चों को पढ़ाना।
2. प्रयोग : कई शोध के अनुसार ज्ञात हुआ है कि बच्चे व्यखाया से ज्यादा प्रयोग विधि में ज्यादा रूचि लेते है। इसे वे विषय को जल्दी एवं रुचिपूर्ण तरिके से समझ पाते है। यह एक सशक्त माध्यम है, शिक्षा के प्रति बच्चों में रूचि जागृत करने का। अध्यापक को चाहिए कि जहां तक संभव हो सके। शिक्षण की प्रयोगात्मक पद्धतियों को ही अपनाना चाहिए। विभिन्न वस्तुओं, चित्र इत्यादि के माध्यम से विद्यार्थी को शिक्षित करना चाहिए।
छोटे बच्चों के पढ़ायी में रूचि जागरण करने के लिए आप विभिन्न गेम्स को शामिल कर सकते है। जहाँ तक सम्भव हो शिक्षा में खेल का समावेश करे। खेल के प्रति बच्चों का रूचि में अत्यधिक विकास होता है। जैसे - किंडरगार्डन इत्यादि विद्यालय में विभिन्न साधनों का उपयोग करके शिक्षा को रुचिपूर्ण बनाया जाता है।
3. Trips : जब जीवन से जुड़े हिस्से या प्रैक्टिकल जीवन के हिस्से होते है, तब हम जल्द ही सीख पाते है। विद्यार्थी में रूचि लाने के लिए शिक्षक को पुस्तकीय ज्ञान के टॉपिक को विभिन्न रियल लाइफ एक्साम्प्लेस इत्यादि के माध्यम से समझाना चाहिए।
जब हम कोई मूवी, सीरियल देखते है तब उसका हर बाते हमें याद होती है। अगर वही मूवी का स्क्रिप्ट एक कहानी के रुप में लिखा हो तो.. हम उसे ज्यादा देर तक याद नहीं रख पाते। इसका कारण है विसुअल का आभाव। यह अत्यंत जरुरी है बच्चों के कठिन विषय से संबंधित पुस्तकीय ज्ञान के साथ विसुअल ऐड कर उपयोग करके शिक्षा देना चाहिए। बच्चों के लिए विभिन्न डायग्राम, चार्ट्स इत्यादि का उपयोग करके बच्चों के पढ़ायी को सरल के साथ ही साथ रुचिपूर्ण बनाना चाहिए।
प्रोत्साहन : प्रोत्साहन वह ऊर्जा है, जिससे विद्यार्थी में कार्यों करने के प्रति अदमय साहस, उल्लास एवं परिश्रम जागृत होती है। पढ़ायी में रूचि लाने के लिए शिक्षक का प्रमुख कर्तव्य है कि वे विद्यार्थी के अच्छे कार्यों के लिए प्रोत्साहन करना चाहिए, बच्चों में निर्भय, साहस को जागृत करना चाहिए। विषय संबंधित बच्चों को प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
# विभिन्न : एक शिक्षक होने के नाते स्वयं का विश्लेषण करना जरूर है। अपने शिक्षण विधि, शिक्षण सामग्री को रुचिपूर्ण बनाने का प्रयास करे। जब आप क्लास में किसी विषय को पढ़ाने जाते है, तब उस विषय का अच्छा से विश्लेषण करे। आप विभिन्न स्थानों से सोर्स ग्रहण करे, जिससे आप विषय को सरल से सरल और रूचि तरिके से समझा पाए। जैसे : बुक्स, वीडियोस, ऑनलाइन कंटेंट इत्यादि।
पॉजिटिव : स्किनर के प्रमुख theroy क्रिया - प्रसूत अनुकूलन में जिन्होंने reinforcement का जिक्र किया है। यह एक ऐसा माध्यम है, जिससे शिक्षा में रूचि इनक्रीस होता है।जिसका तात्पर्य है कि स्टूडेंट के अच्छे कार्य के लिए उन्हें अवार्ड दे। यह एक छोटा सा प्रयास ही बच्चों में सीखने और जीतने की ललक को बढ़ा देंगी। फरवरी 2020 में मुझे मेरे प्रस्तुत के लिए तीसरा पुरस्कार मिला। जिसके माध्यम मेरे अंदर जीतने और सीखने की ललक बड़ी तेज़ी से बढ़ा।
अगर विद्यार्थी स्कूल या कोचिंग के पढ़ायी में समझ नहीं पा रहें है, तब आप टेक्नोलॉजी का सदुपयोग करके अपने शिक्षा को रुचिपूर्ण बना सकते है।अपने रूचि और समझ के अनुसार फ्री ऑफ़ कॉस्ट यूट्यूब से टीचर्स kका ज्ञान अर्जन कर सकते है।
यह कुछ कारगर टिप्स है, जिससे शिक्षक को रुचिपूर्ण बनाकर जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति की जा सकती है । रूचि के बिना शिक्षा व्यर्थ है, जिससे विद्यार्थी का विकास नहीं हो पायेगा। इसलिए एक शिक्षक होने के नाते शिक्षा को रुचिपूर्ण, उद्देश्यपूर्ण और उत्साहपूर्ण बनाये।
धन्यवाद
काजल साह
|