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21/01/2024 Kajal sah Development Views 102 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
"युवा शक्ति को जागरूक करने वाले को विवेकानंद जी कहते है"

अगर आप भारत की संस्कृत, सभ्यता और स्नेहता को जानना चाहते है, तब आपको विवेकानंद जी के जीवन के बारे में जरूर पढ़ना चाहिए। भारत की धरा पर जन्म लेकर पवित्रता, स्नेहता, करुणा और आदरता का भाव सिखाया। कहते है तस्वीर की तकदीर बदलने वाले को चित्रकार कहते है.. ठीक उसी प्रकार युवा शक्ति को जागरूक को करने वाले को विवेकानंद जी कहते है। जिनका जीवन सादगी, प्रेम, मुस्कान से परिपूर्ण था। मात्र 39 वर्ष की उम्र में महान पुरुष विवेकानंद जी का देहांत हो गया। लेकिन अल्प जीवन में उन्होंने अनमोलता,व्यापकता और करुणा से भरी शिक्षा और कार्य किया जो पुरे विश्व भर में विख्यात है। उनका अनमोल कथन - "उठो जागो तब तक मत रुको जब तक की लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए "उपरोक्त कथन को उन्होंने अपने जीवन में सुगमता से अपने जीवन में आत्मसात किया।बहुत ही कम उम्र से वे गीता, उपनिषद, वेद इत्यादि का अध्ययन करने लगे थे, जिसका व्यापक प्रभाव उनके विचार, उनके कार्यों में प्रतिलंबित होता है। आज मैं आपको बताने वाली हूँ कि महान विचारक, दूरदर्शी, संघर्षपूर्ण व्यक्ति से मैंने क्या सीखा? अगर उनके जीवन के बातों को हम अपने जीवन में आत्मसात करने लगेंगे तब हमारा जीवन सादगी, प्रेम, हिंसामुक्त हो जाएगा। इसलिए उनके जीवन के अनुनभव को अपने जीवन में आत्मसात करने का प्रयास करे। 1. जाने : स्वामी जी ने कहा था अगर आपके पास पुरे दिन में स्वयं के साथ मिलने का समय नहीं है, तब आप सबसे महत्वपूर्ण इंसान को खो रहें है।हमेशा याद रखे, अगर आपके पास ईश्वर का सबसे बड़ा तोहफा दो हाथ, दो पैर आपको मिल चूका है। जिससे आप पुरे ब्राह्मण्ड की शक्ति को आत्मसात कर सकते है। लेकिन सबसे पहले आपको के प्रति जागरूक होना होगा.. अपने कमियों से लेकर अपने मजबूतियों के बारे में अच्छे से जानना होगा। कहते है ना दूसरों से मिलने का समय है लेकिन जब अपने बात हो तब सारी लाइन व्यस्त बताती है।आपको किसी के जीवन के बारे में बताने से पहले स्वयं के बारे में अच्छे से जान ले। 2. भय अब नहीं : कहते है कि आप जितना भय से डरेंगे यह आपको और भयभीत करेंगी। उदाहरण - जब विवेकानंद जी ने मंदिर से लौट रहें है, तब उनके पीछे - पीछे अनेक बंदरों का झुण्ड पीछा करने लगा। तब स्वामी जी भयभीत के वजह से तेज़ी से भागने लगे। तब रास्ते में एक व्यक्ति मिले उन्होंने कहा है कि तुम जितने डर से दूर जाओंगे यह तुमको और भयभीत करेंगी। इसलिए डर का सामना करना सीखो। तब उन्होंने बंदरों का सामना किया बंदरों को डरा करके। इस छोटी से कहानी से हमें अनमोल यह सीख मिलती है कि हमें भय का सामना करना चाहिए। हम जितना भय का सामना करते है। हम निर्भर बनने लगते है। आध्यात्मिक : जीवन का अर्थ केवल भौतिक के साधन जुटाना नहीं है। जीवन का व्यापक उद्देश्य है अपने कर्मो के साथ आध्यात्मिक यानि ईश्वर को अपने जीवन का साथ बनना। ईश्वर की प्राप्ति धर्म -कांड, मूर्ति पूजा, हवन इत्यादि स्वागत प्राप्त नहीं होता। ईश्वर की प्राप्ति नेक कर्म करते हुए ईश्वर को स्मरण करना। जरूरतमंदो की सेवा करना, भौतिकता से दूर होकर जीवन को आध्यात्मिक की धारा में जोड़ना। समय : आज आप जिस प्रकार समय का उपयोग कर रहें है, ठीक उसी प्रकार आपका भविष्य निर्माण होगा। विवेकानंद जी के अनुसार की धरती की सबसे अनमोल धरहोर समय है। आज युवा वर्ग ऐसे कार्यों में अपने समय को व्यतीत करते है, जिससे उनके जीवन में आसमर्थता का ही ढेर रहता है। और वे अपने जीवन में ज्ञान, बुद्धि को प्राप्त नहीं कर पाते। उन्होंने हर युवा को ज्ञान ( अध्यात्मिक, जीवन, पुस्तकी, अनुभवी इत्यादि ज्ञान ) को अपने जीवन में आत्मसात करके अपने जीवन में उतारना चाहिए। व्यक्तित्व : मनुष्य जीवन क्षण भंगूर है यानि जो किसी भी पल में क्षण भंगूर हो सकती है। हमें स्वामी जी से सीखना चाहिए, उन्होंने अल्प जीवन में ही अपनी पहचान पुरे विश्व भर में बनायी।आपको पता है? स्वामी विवेकानंद नाम का अर्थ क्या है.. जो स्वामी अपने पांच सेंस ऑर्गन के हो, जिनके पास विवेक यानि बुद्धि जिससे उनका जीवन आनंद से पुलकित रहें। व्यक्तित्व विकास करने से पहले अपने मन को कण्ट्रोल करना सीखें या अपने पांच इन्द्रियों में संयम करे।स्वामी जी के अनुसार प्रेजेंट यानि प्रोसेसिंग। अच्छे पुस्तकों अच्छे मित्र, सकारात्मक कार्य, सकारात्मक लोगों के सोच को आत्मसात करे। जिससे आपका अटूटता, विश्वास बढ़ेगा। हमेशा याद रखे हार के बाद भी जरूर कोशिश करे.. इस बार शुरुआत शून्य से नहीं अनुभव से होगी। अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए निरंतर सीखते रहे। सीखने को अपने जीवन की प्रथम प्राथमिकता, प्रथम मित्र बनाये। डिसिप्लिन : सफलता आपसे मेहनत, त्याग और नियमरूपी जीवन चाहती है। डिसिप्लिन वह सशक्त शक्ति है, जिससे आपका आत्मविश्वास, आत्मबल, आत्मज्ञान बढ़ता। विवेकानंद जी इसलिए अपने जीवन में सफलता को चुम पाए, क्युकी उन्होंने डिसिप्लिन को अपने जीवन में आत्मसात किया था। सफल व्यक्ति, सफल बिजनेसमैन, सफल कार्यकर्ता, सफल विद्यार्थी यानि आपको जीवन में किसी भी क्षेत्र में सफलता पाना है तब आपको अपने जीवन में डिसिप्लिन को आत्मसात करना होगा। प्रेम :ढाई अक्षर का शब्द प्रेम जिसकी बहुलता बहुत है। जो सभी वैर, नफ़रत, घृणा का अंत रखने की शक्ति रखती है - वह है प्रेम। स्वामीजी ने सभी से प्रेम करने की सीख दी। अपने हृदय को संकुचित ना बनाये व्यापक बनाये। सभी के लिए अपने दिल में स्थान दे। प्रेम बाँटने से बढ़ता है। स्वामी जी के अनमोलता से परिपूर्ण सीख, जिससे हमें अपने जीवन में आत्मसात करके सादा जीवन और ऊंच विचार का बनाना चाहिए। धन्यवाद काजल साह

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