डर डर कर इस जीवन से किधर जाएंगे होगा और क्या कि बस मर जाएंगे ये उलझने ये तकलीफें दौर है आना जाना दो पल बिखरेंगे फिर दो पल संवर जाएंगे लड़ते लड़ते नसीब से किसी रोज जब थकेंगे रंग इसके रंग में खुद से मुकर जायेंगे... Fb.com/रिया की डायरी
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