नारी, महिला, स्त्री, कमला, कान्ता इत्यादि यह जो सभी शब्द जिनके लिए उपयोग किये जाते है वह ईश्वर की सबसे सुंदर कृति है। जिन्हें हम कभी माँ, कभी बहन कभी प्रेमिका के रूप में देखते है।जिनके अभिन्न रूप में गौरवपूर्ण शक्ति है।
भारत की आबादी में 50%पुरुष और 48 % महिलाएं है।विकसित और विश्वगुरु के लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए क्या केवल आधी आबादी अर्थात केवल पुरुष को आगे बढ़ाने से सम्भव हो पायेगा? उत्तर है नहीं। आज महिलाएं बहुत आगे बढ़ रही है.. लेकिन दुख यह बात है कि आज भी हमारे भारत देश की पूर्ण महिलाएं शिक्षित नहीं है.. आत्मनिर्भर नहीं है।स्त्री और पुरुष में कोई अंतर नहीं है..जैसे वे सांस लेते है.. वैसे महिलाएं भी सांस लेती है। जैसे वे जीने के लिए भोजन करते है.. वैसे महिलाएं भी करती है। लेकिन बड़ी दुख की बात है कि महिलाएं आज भी अपने शरीर को प्राथमिकता देती है। जिस दिन महिलाएं अपने शरीर पर से ध्यान को दूर करके अपनी क्षमता, ज्ञान और कौशल पर कार्य करने लगेगी। उस दिन जरूर हर महिलाएं आगे बढ़ सकती है।
पहली नज़र में प्यार नहीं महिला नज़र में तन से प्यार होता है। लेकिन महिलाएं यह बातें समझ नहीं पाती। और अपना पूरा जीवन दूसरों पर निर्भर बनकर, घर के कामों प्राथमिकता देकर, पति के सुख को पूर्ण करने में अपना जीवन व्यतीत कर देती है। आपको समझना होगा.. आप इसलिए इस धरती पर नहीं आये है।बड़ी दुख की बात है महिलाएं हर विकसित क्षेत्रों में 5-10 % ही मिलती है। अब प्रश्न है ऐसा क्यों हुआ? महिलाओं की सारी ऊर्जा कहाँ गई? महिलाओं की सारी ऊर्जा प्रजन्न संबंधित कार्य और घरेलू कार्य में व्यर्थ हुआ। इसलिए आज महिलाएं अनेक क्षेत्रों में पिछड़ी हुई है।
स्वयं को पहचाने.. स्वयं के शक्ति को पहचाने.. स्वयं के गुणों को पहचाने.. आपका जन्म केवल शरीर के सौदा के लिए नहीं हुआ..सिर्फ आपके चेहरे की खूबसूरती के लिए लोग आपकी तारीफ करे और इसी अपना अचीवमेंट मान लिया.. यह सही नहीं। इसलिए मेरी हर महिला से विनती है कि कम ही लेकिन इतना जरूर कमाए.. जिससे आप स्वयं पर आत्मनिर्भर हो पाए। शादी के बंधन से दूर रहकर अपने करियर अपने क्षमता अपने गुणों के विकास में अपनी शक्ति का उपयोग करे। आज मैं आपको 20 कारण बताऊंगी कि हर महिलाओं को क्यों स्वयं पर निर्भर होना चाहिए? क्या प्रमुख कारण है?
1.फ्रीडम :दुख की यह बात है कि स्वतंत्रता से पहले भी महिलाएं सुरक्षित नहीं थी.. उनके साथ पशुओं जैसा व्यवहार किया जाता था। उन्हें केवल भोग विलास की वस्तु समझा जाता था। लेकिन आज भी वह परिस्थिति है.. आज भी महिलाओं को केवल शरीर समझा समझा जाता है।जागो महिलाएं जागो.. स्वयं के गुणों को पहचानो। तुम शरीर नहीं तुम शक्ति है। तुम सशक्त शक्तिशाली तब बन पाऊँगी जब हर महिला अपने ज्ञान, कौशल पर अपनी ऊर्जा खर्च करती है। हर महिलाओं को स्वयं के स्वंत्रता के लिए अपने जीवन को खुलकर जीने के लिए.. अपने प्रगति के लिए.. अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए हर महिलाओं को स्वयं पर निर्भर रहना चाहिए। स्वयं से प्रेम करना सीखिए.. अपने सपनों से प्रेम करना सीखिए... जरुरी नहीं प्रेम किसी पुरुष से ही। अत्यधिक पुरुष बॉडी और खूबसूरती के लिए झूठा प्रेम का दिखावा करते है ।
2. शिक्षा और कौशल : कई बार आपको भी विभिन्न नये -नये कोर्स सीखने.. नये -नये स्किल्स को सीखने का इच्छा करता होगा। लेकिन पैसे ना होने के कारण से आप सिख नहीं पाते। आपको अपने गुण.. अपने कौशल के निखार.. अपने क्षमता के वृद्धि के लिए आपको अर्निंग जरूर करना चाहिए।आपके गुण और कौशल के वजह से आपको बहुत अवसर मिलते है.. आप आगे बढ़ते है.. और अपनी सशक्त पहचान बनाते है ।
3. सामाजिक :मैं हमेशा सोचती हूँ। एक लड़की का जन्म हुआ.. वह अपने पेरेंट्स के घर में रहती है.. सारा खर्च उनके पेरेंट्स वहन करते है.. शादी के बाद उनके पति और बुढ़ापे में बच्चे।उस लड़की का पहचान सिर्फ उसकी बेटी.. उसकी पत्नी.. उसकी माँ बनकर ही सिमित रह जाता है। इस सीमा को तोड़ने के लिए हर महिलाओं को पढ़ना चाहिए। आपको स्वयं पर निर्भर जरूर होना चाहिए.. अपने पहचान के लिए.. सम्मान के लिए.. सामाजिक समृद्ध के लिए। अपने भावना को संयमित रखना सीखें.. अपने विकास के लिए निरंतर कार्य करे।
सहयोग : अगर आप एक बेटी है.. तब क्या आप अपने परिवार में आर्थिक रूप से क्या आप मदद नहीं कर सकते है.. क्या आप एक पत्नी.. एक बहु है.. तब क्या आप अपने परिवार समृद्ध में आप सहयोग नहीं कर सकती है.. क्या आप एक माँ तब क्या आप अपने बच्चों के स्कूल फीस नहीं भर सकती? सभी का उत्तर है हाँ आप कर सकती है। बस मन के गरीबीपन को दूर कीजिये। जो लोग कहते आ रहे है.. कि महिलाएं कोमल होती है.. महिलाये नाजुक होती है.. इन भावना को दूर करके कीजिये। सकारात्मक सोच के साथ अपने ज्ञान और कौशल से धन अर्जित करे। अपना बहुमूल्य सहयोग परिवार की समृद्धि में दीजिये।
विचार : बाबा साहब जी ने महिलाओं के उन्नति के लिए अपना परम योगदान दिया है।महिलाओं के हर हक के लिए वे लड़े.. महिलाओं के फ्रीडम के लिए उन्होंने सविंधान में स्थान दिया। जब महिलाएं आत्मनिर्भर रहती है... तब महिलाएं स्वंतंत्र रूप से सोच पाती है। वे अपने विचारों को सभी के सामने व्यक्त कर पाती है। उनका खुला सोच ही उन्हें आगे बढ़ने में मदद करता है। महिलाएं सामाजिक परिवर्तन में सक्रिय रूप से नेतृत्व करती है।आज भारत देश का सबसे बड़ा पद और गौरवमय स्थान राष्टपति के पद पर महिला (द्रोपदी मुर्मू )जी आसीन है। इसलिए स्वयं के शक्ति को पहचाने.. अपने विचारों को स्वाधीन रूप से रखने के लिए आपको खूब पढ़ना होगा। और अपने ज्ञान और कौशल के माध्यम से स्वयं पर सेल्फ डिपेंड जरूर बनकर दिखाना होगा।
नयी तकनीकी : आत्मनिर्भर महिलाएं नयी तकनीकी और नये विचारों का समर्थन करती है।आत्मनिर्भर महिलाएं अपने धन का निवेश अपने कौशल, शिक्षा और नयी तकनीकी को सीखने में खर्च करके स्वयं पर अच्छा इन्वेस्टमेंट कर सकती है। इसलिए हर महिलाओं को अच्छे इन्वेस्टमेंट के हेतु स्वयं पर निर्भर रहना चाहिए।
रोजगार : क्या बिज़नेस केवल पुरुष ही कर सकते है? क्या पुरुष ही अरबों -खरबो के मालिक बन सकते है? आप नहीं.. आप भी बन सकती है.. आप भी आगे बढ़ सकती है। स्वयं को फाइनेंसियल रूप से एडुकेट करे। आप क्या केवल रोजगार कर सकती है.. नहीं आप में रोजगार देने की क्षमता है.. इसलिए अपने क्षमता को पहचाने.. अपने गुणों को पहचाने।
स्त्रियों :आपका जन्म चुप रहने के लिए.. खूबसूरत कहलाने के लिए.. आपका जन्म हुआ.. खुद के विकास के लिए।गलत सहने के लिए गलत के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए.. मार खाने के लिए नहीं.. आवाज उठाने के लिए.. यह आप तब ही कर सकते है..जब आप स्वयं को शिक्षित.. स्वयं को आत्मनिर्भर बनाएंगे। लोग आपको शरीर से नहीं तब आपको लोग आपके काबिलियत से देखेंगे। अगर आप अपने पति, बेटे की रोटी जब तक खाएंगे तब तक वे आपको सम्मान से नहीं देखेंगे.. क्युकी उनके मन में हमेशा यह होगा कि आप उनके पैसे से जी रहे है। इसलिए अब उठिये.. स्वयं को पहचाने।
यह कुछ प्रमुख कारण है.. जिससे हर महिलाओं को आर्थिक रूप स्वयं पर निर्भर रहना चाहिए। जब आप आत्मनिर्भर बनियेगा तब ही आप सक्रिय रूप से अपना योगदान समाज के विकास में दे पाएंगे.. आपका यही योगदान विकसित भारत के सपने को शीघ्रता से पूरा करेगा।
धन्यवाद
काजल साह
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