मन अब हार गया
ना जाने अब क्यों दिल
फिर स्वागत हंस नहीं पा रहा
आँखों में नमी है
दिल में दर्द, होठों पर सन्नाटा
पुराने दर्दो ने एकबार फिर
रुलाया है मुझे
ना जाने क्यों मन हार गया।
मेरी चाहतों को सबने दबाया है
मेरी ख़ुशी को सबने भुलाया है
मेरे हसीन ख़्वाब को
बंद पिंजरे की तरह बनाया है
अब मन हार गया है
क्योंकि किसी अपने ने ही
यह दर्द दिलाया है।
अब मन एकबार फिर मुस्कुराया है
मेरी उम्मीदों को किसी ने जगाया है
एक कोशिश करने का साहस
हौसला किसी ने जगाया है
टूटे मन को फिर आगे बढ़ना सिखाया है
अब मन एकबार फिर मुस्कुराया है।
धन्यवाद
काजल साह
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