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19/08/2024 Kajal sah Awareness Views 203 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
कोई नहीं पराया - गोपाल दास "नीरज "

कोई नहीं पराया, मेरा घर सारा संसार है मैं न बंधा हूँ देश काल की जंग लगी जंजीर में, मैं न खड़ा हूँ जाति - पाँति की ऊँची - नीची भीड़ में। मेरा धर्म न कुछ स्याही - शब्दों का सिर्फ गुलाम है मैं बस कहता हूँ कि प्यार है तो घट - घट में राम है। मुझको तुम न कहो मंदिर -मस्जिद पर मैं सर टेक दूँ, मेरा तो आराध्य आदमी देवालय हर द्वार है। कोई नहीं पराया मेरा घर संसार है। कहीं रहे कैसे भी मुझको प्यारा यह इंसान है मुझको अपनी मानवता पर बहुत अभिमान है। अरे नहीं देवत्व, मुझे तो भाता है मनुजतत्व ही और छोड़ कर प्यार नहीं स्वीकार सकल अमरत्व भी। मुझे सुनाओ तुम न स्वर्ग - सुख की सुकुमार कहानियाँ है। कोई नहीं पराया मेरा घर संसार है। मैं सिखलाता हूँ कि जियो और जीने दो संसार को, जितना ज्यादा बाँट सको तुम बाँटो अपने प्यार को। हँसो इस तरह, हँसे तुम्हारे साथ दलित यह धूल भी, सुख न तुम्हारा सुख केवल, जग का भी उसमें भाग है, फूल डाल का पीछे, पहले उपवन का श्रृंगार है कोई नहीं पराया, मेरा घर संसार है। धन्यवाद

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