किसी भी देश की उन्नति तब ही सम्भव है, जब वहां के नागरिक समग्र रुप से सशक्त होंगे। ज्ञान, आर्थिक, कौशल इत्यादि हर महत्वपूर्ण गुणों से सशक्त नागरिक ही देश की उन्नति में योगदान कर सकता /कर सकती है।
भारत एक सम्पूर्ण रूप से विकसित देश तब ही बन पायेगा, जब हमारे देश में पूर्ण रूप से महिलाओं को भी आगे बढ़ने दिया जायेगा। आज भारत में कई ऐसे क्षेत्र है, जहाँ लड़कियां पढ़ नहीं पा रही है,कम उम्र में शादी, घरेलू हिंसा इत्यादि का सामना कर रही हैं।
मानव जीवन मिला है ऊँचा उठने के लिए अर्थात सार्थक कार्य करने के लिए। जिस प्रकार एक पुरुष को अधिकार है कि वह अपने जीवन को सफल बनाये। ठीक उसी प्रकार हर स्त्री को अनवरत अभ्यास करना चाहिए कि वे अपने जीवन को सार्थक एवं सफल बनाये। विनोबा जी की एक पुस्तक जिसका नाम " स्त्री शक्ति " है। लेखक कहते हैं - " स्त्रियां खुद आयेगी तभी उनकी शक्ति जाग सकेगी " हर स्त्री को खुद आगे आना होगा। अपने हक के लिए खुद लड़ना होगा। भविष्य में स्त्रियों के हाथ में समाज का अंकुश आनेवाला है। उसके लिए स्त्रियों को तैयार होना पड़ेगा। ज्ञान - वैराग्य सम्पन्न, भक्तिमान और निष्ठावान बनना पड़ेगा। यदि स्त्रियां वासना चाहती हैं, तो उन्हें वासना के बहाव में बहना नहीं चाहिए।
आज इस निबंध मैं आप सभी के साथ साझा करूंगी कि हर स्त्री को खुद पर निर्भर रहना क्यों अनिवार्य है?आत्मनिर्भरता क्यों जरुरी है, महिलाओं के लिए? हर महत्वपूर्ण बिंदुओं को आज मैं साझा करुँगी।
विनोबा जी अपनी पुस्तक स्त्री - शक्ति में लिखते हैं - संस्कृत में स्त्री के बहुत शब्द हैं। उनमें से एक है अबला और दूसरा है - महिला। अबला के माने है दुर्बल, जिसकी रक्षा दूसरों को करनी पड़ेगी, रक्षणीय। और महिला का अर्थ होता है - महान, बहुत बड़ी ताकतवाली। इतना उन्नत शब्द, दुनिया की जितनी भाषाओं का मुझे ज्ञान है - करीब बीस - पच्चीस भाषाओं का, उनमें किसी में मिला नहीं। इधर अबला भी कहा और उधर महिला भी कहा। मैं पुरे हिंदुस्तान में घूमा हूं, पर मैंने अबला -समिति कहीं नहीं, महिला समिति देखी है। बहनों ने परीक्षा की है और महिला शब्द चुन लिया है। मतलब स्त्रियों ने तय किया है कि हमारी शक्ति महान शक्ति है, अल्प शक्ति नहीं।
अर्थात हर महिला में अपार शक्ति है। हर महिला में सशक्त शक्ति है, जिससे वह अपने परिवार से लेकर देश को सशक्त एवं सभ्य बना सकती है।
1. आर्थिक :मनुष्य एक समाजिक प्राणी है। अन्य मनुष्य की भांति महिलाओं के भी सपने होते हैं। नए - नए सामग्री से लेकर नए - नए स्थान पर भ्रमण करने की इच्छा महिलाओं में भी है ।लेकिन जब महिलाएं आर्थिक रुप से स्वंतत्र नहीं रहती है या किसी अन्य पर आर्थिक रूप से निर्भर रहती है,तब उन्हें अपनी सारी इच्छाओं एवं सपने को नष्ट करना पड़ता है या पूर्ण नहीं कर पाती है।
जब महिला अपने ज्ञान, कौशल से धन अर्जित करती है। और अपने कमाएं हुए धन से अपने सपने को पूर्ण करती है, तब हर महिला को खुद पर गर्व होता है।
हर स्त्री को आर्थिक रुप से खुद पर निर्भर होना जरूर चाहिए, जिससे महिलाएं को अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दूसरों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
2. समाज : क्यों हम किसी अन्य के पहचान से क्यों जाने जाएं? क्या हमारा कोई अस्तित्व नहीं? हर स्त्री की अपनी पहचान होनी चाहिए। किसी की पत्नी, किसी की गर्लफ्रेंड यह सभी स्त्री की पहचान नहीं है।
महिलाएं अपनी पहचान तब ही बना पाएंगी, जब वह आर्थिक रूप से स्वयं पर निर्भर और एक सम्मानित पद पर हो। हर स्त्री को बड़े स्वप्न देखना चाहिए और उस बड़े लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अथक मेहनत, प्रयास एवं अभ्यास करना चाहिए। आत्मनिर्भर महिलाओं को समाज में अधिक सम्मान मिलता है। आत्मनिर्भर महिलाएं परिवार, समाज एवं देश में योगदान दे पाती है। पुरुष एवं स्त्री के दोनों के योगदान से एक सभ्य एवं सुंदर राष्ट्र बन सकता है। इसलिए हर महिलाओं को कार्य करना चाहिए और स्वयं पर निर्भर रहना चाहिए।
3. आत्मविश्वास और निर्णय : जो महिलाएं हर छोटी से बड़ी चीज़ों के लिए अन्य पर निर्भर रहती है। जिसकी वजह से महिलाओं का आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है। आत्मनिर्भता वह सशक्त शक्ति है, जो महिलाओं के आत्मविश्वास को बढ़ाती है। आत्मसम्मान,आत्मविकास की शक्ति को बढ़ाती है। इसलिए हर महिलाओं को स्वयं पर निर्भर रहना चाहिए। जिससे महिलाएं अपने विचारों को सभी के समक्ष आत्मविश्वास के साथ रख पाए।
आत्मनिर्भता की शक्ति की वजह से महिलाएं अपने निर्णय स्वयं लव सकती है। आत्मनिर्भरता की वजह से महिलाओं में निर्णय लेने की स्वंतत्रता में उन्नति होती है।
4. हिंसा : आये दिन अखबारों एवं दूरदर्शन में महिलाओं पर हो रहे घरेलू हिंसा के बारे में खबर रहती है। घरेलू हिंसा की वजह से अनेक महिलाओं की जान तक ले ली जाती है। घरेलू हिंसा के कई कारण है।प्रमुख कारणों में एक कारण यह भी है कि महिलाएं को बोझ के रूप में समझा जाता है। इस घरेलू हिंसा एवं शोषण से लड़ने के लिए हर महिलाओं को स्वयं पर निर्भर होना जरूर चाहिए। जिससे महिलाएं इन घरेलु हिंसा एवं शोषण से लड़ पाएं।
यह कुछ प्रमुख कारण है। उपरोक्त कारणों में अन्य कारण है : बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए, समाज में बदलाव, मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए, नवाचार एवं सशक्त भारत बनाने के लिए।
आशा करती हूं कि यह निबंध आपको अच्छा लगा होगा। हर स्त्री को खुद पर आवश्यक रूप से निर्भर रहना चाहिए और एक सशक्त एवं सुंदर भारत के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान देना चाहिए।
धन्यवाद
काजल साह
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