सफलता त्याग मांगती है अर्थात उन चीज़ों को हमें त्यागना जरुरी है जो हमारे लक्ष्य से हमें दूर कर रही है।लेकिन अधिकांश लोग इसलिए अपने जीवन में सफल नहीं हो पाते, क्योंकि वे संघर्ष के दौर में सुविधाओं को चुनते है और संघर्ष को स्वीकार नहीं करना चाहते हैं।
आज इस निबंध मैं आप सभी के साथ साझा करूंगी कि क्यों हमें सुविधाओं को हमें अपनी आदत नहीं बनानी चाहिए? सुविधाओं की आदत पड़ने से क्या - क्या नुकसान हो सकते हैं?
1.आलस्य : मानव जीवन का सबसे बड़ा शत्रु कोई इंसान नहीं अपितु उसी व्यक्ति में निहित आलस्य है।आलस्य का सबसे बड़ा कारण है अनेक सुविधाओं की प्राप्ति। कम्फर्टेबले लाइफ सबसे बड़ी बाधा है सफलता तक पहुंचने का।
समय सबसे गतिशील है। जो समय बीत गया, वह कभी नहीं आता। इसलिए जिस प्रकार हम धन सोच -समझकर खर्च करते हैं, ठीक उसी प्रकार यह अत्यंत आवश्यक है कि हम अपने समय एवं ऊर्जा का उपयोग अच्छे कार्य में करें। अधिकांश युवा अपने सबसे बहुमूल्य समय अर्थात युवा अवस्था में मेहनत को ना चुनकर आरामदायक जीवन को चुनते है। जैसे : अधिक देर तक सोना, जंक फूड का सेवन, पेरेंट्स के धन का दुरूपयोग करना इत्यादि। युवाओं के लिए यह ख़ुशी क्षण भर के लिए होती और बाद में यही सुविधापूर्ण जीवन आगे असुविधाओं में बदल जाती है। यह अत्यंत आवश्यक है कि युवा अवस्था में अधिक कम्फर्टेबले लाइफ से दुरी बनाकर अपने समय और ऊर्जा का उपयोग खुद को मजबूत अर्थात मानसिक, शारीरिक, आर्थिक, अध्यात्मिक इत्यादि फील्ड क्षेत्रों में खुद को सशक्त बनाने का प्रयास करना चाहिए।
2. स्वास्थ्य : जब सुविधाएँ हमारी आदत बन जाती है, तब उससे कैसे समस्याएँ भी उत्पन्न होती है।जैसे : आजकल के युवा मैदान में ना खेलकर अपना अधिकांश समय मोबाइल पर बिताते है। जैसे : ऑनलाइन गेम खेलना, चैटिंग करने में, फेसबुक पोस्ट पर कमेंट करने इत्यादि में।
लगातार बैठने या कम शारीरिक गतिविधियों के कारण मोटापा, मधुमेह, ह्रदय रोग जैसी समस्याएं हो सकती है। शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जैसे : सोच -विचार करने की क्षमता में कमी,डिप्रेशन, याद करने में समस्या इत्यादि। इसलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि सुविधाओं से निकलकर ऑनलाइन गेम जगह पर मैदान में खेले, चैटिंग के स्थान पर शिक्षा को चुने इत्यादि। जीवन आपका है जीवन को सफल बनाना आपके हाथ में है। इसलिए।
3. आत्मनिर्भरता की कमी : अधिक सुविधाओं की वजह से मनुष्य का माइंड कमजोर होने लगता है अर्थात छोटे - छोटे कार्यों को पूर्ण करने के लिए दूसरी वस्तु या व्यक्ति पर निर्भर होने लगते है। जैसे :वर्तमान में लोग घर का भोजन ना करके ऑनलइन एप्लीकेशन जैसे - जोमाटो, स्विग्गी से पिज़्ज़ा, बर्गर जैसे जंक फूड का सेवन कर रहें हैं। जिसका नकारात्मक प्रभाव उनके तन और मन दोनों पार पड़ रहा हैं।
4. समय की बर्बादी : दुख हो या सुख, सुखी जीवन हो या सफल जीवन आज हम जो भी स्थिति में है, हम अपने चुनाव की वजह से है। अतीत में हमने किसका चयन किया? मेहनत या आलस्य? युवाओं को समझने की नितांत आवश्यकत ता है कि सुविधाओं का अधिक इस्तेमाल हमारे ऊर्जा, समय कि बर्बाद करता है। आज युवा अधिकांश समय मनोरंजन में व्यय करते है ना कि मनोमंजन में। अगर आज हम समय को बर्बाद कर रहें हैं, तब भावी समय में समय हमें भी बर्बाद कर सकता है। क्योंकि समय सबसे अधिक बलवान है। इसलिए आज युवाओं को उन चीज़ों / कार्यों का चयन नहीं करना चाहिए, जो उनके वर्तमान को नष्ट कर रही हो, क्योंकि वर्तमान के चयन से ही हमारा भविष्य निर्धारित होता है।
युवाओं को यह सोचना बंद करना चाहिए कि उनके पास पर्याप्त समय है, क्योंकि समय से ही जीवन बनता है। समय बर्बाद करना अर्थात जीवन बर्बाद करना।
5. क्रिएटिविटी और फाइनेंसियल : हर व्यक्ति में हुनर है। लेकिन अपना असली हुनर वही व्यक्ति पहचान पाते हैं, जो खुद का प्रतिदिन निरीक्षण करते है, जिससे आत्म- निरीक्षण कहते हैं। लेकिन आज युवा तो सुविधाओं में ग्रस्त है। इसलिए वह ना तो खुद की कमजोरी और ना ही खुद की मजबूती को जान पाता है अर्थात खुद के बारे में कुछ पता ही नहीं है।
युवाओं के जीवन में छोटी सी समस्या आने पर वे घबरा जाते हैं और समस्या का हल ढूढ़ने का प्रयास भी नहीं करते। क्रिएटिविटी, क्रिटिकल थिंकिंग जैसे महत्वपूर्ण कौशलों में पीछे हो जाते हैं और अपनी - अपनी छोटी जरूरतों के पूर्ति के लिए युवा अपने पेरेंट्स पर निर्भर हो जाते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि युवाओं को पेरेंट्स से मिलने वाली अधिक कम्फर्टेबले लाइफ में अधिक समय व्यय ना करके अपनी ऊर्जा और समय को नए - नए कौशल सीखने में, पार्ट टाइम वर्क करके अपना खर्च ( पढ़ाई + छोटी - मोटी जरूरतों को पूर्ण ) करने में व्यय करना चाहिए।
यह कुछ घातक प्रभाव है जब हम अपनी सुविधाओं को अपनी आदत बनाने लगते हैं। उपरोक्त बिंदुओं के अतिरिक्त है - संबंधों पर प्रभाव पड़ना, विकास रुक जाना, आत्मसम्मान की कमी एवं संवेदनशीलता की कमी इत्यादि। जीवन हमारा चयन भी हमारा है। इसलिए ऐसे कार्यों/ चीज़ों को चयन करें, जिससे आप अपने लक्ष्य तक पहुँच पाएं। आशा करती हूं कि यह निबंध आपको अच्छा लगा होगा।
धन्यवाद
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