जीत के लिए ललक, जीत के लिए जिद्द अर्जित के लिए संघर्ष मनुष्य को बहुत आगे ले जाता है। आज जितने भी सफल व्यक्ति हुए हैं उनमें यह गुण जरूर से जरूर है इसलिए वे आज सफलताओं किस सीढ़ियों पर आगे बढ़ रहे हैं। बहुत सारे ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके जीवन में समस्या बहुत है लेकिन वे समस्याओं को एक सुनहरा मौका समझते हैं क्योंकि उनका मानना है कि समस्या, परेशानी,प्रॉब्लम मनुष्य को मजबूत बनाता है, उसके विचारों को, उसके कार्य को। इसलिए हमें कभी भी मुसीबतों से नहीं डरना चाहिए। एक ऐसे ही महान व्यक्ति जिनका नाम रामानुजन है, जिन्होंने जीवन में आए समस्याओं से लड़कर अपना नाम पूरे जग में उन्होंने रोशन किया कम ही उम्र में ही उनकी एक अलग हर एक महान पहचान बन गई।
रामानुजन का जन्म एक गरीब परिवार में 22 दिसंबर 1807 को तमिलनाडु के इरोड़ कस्बे में हुआ था। उनके पिता एक साड़ी की दुकान पर क्लर्क का काम करते थे। रामानुजन के जीवन पर उनकी मां का बहुत प्रभाव था। जैसा कि हम जानते हैं मां हमारे जीवन की एक ऐसे व्यक्ति होती हैं जो हमेशा सुख से दुख से, सभी में साथ देती हैं। जब वह 11 वर्ष के थे, उन्होंने SL LONEY नामक पुस्तक लिखी, इस पुस्तक में गणित गणित के बारे में जानकारी थी। इनके द्वारा लिखित गणित किताब की पूरी मास्टरी कर ली थी। गणित का ज्ञान तो वैसे उन्हें ईश्वर के यहां से ही मिला था। 14 वर्ष की उम्र में उन्हें मेरिट सर्टिफिकेटस एवं कई अवार्ड मिले।
वर्ष 1954 में जब उन्होंने टाउन हाई स्कूल में स्नातक पास की, तो उन्हें रंगनाथ रंगनाथा राव पुरस्कार, प्रधानाध्यापक कृष्णस्वामी अय्यर द्वारा प्रदान किया गया।
वर्ष 1909 उनकी शादी हुई, उसके बाद वर्ष 1910 में उनका एक ऑपरेशन हुआ। घर वालों के पास उनके ऑपरेशन हेतु पर्याप्त राशि नहीं थी। एक डॉक्टर ने उनका मुफ्त में ही ऑपरेशन किया था। इस ऑपरेशन के बाद रामानुजन नौकरी की तलाश में जुट गए। मद्रास में जगह-जगह नौकरी के लिए घूमे। इसके लिए उन्होंने ट्यूशन भी किए। मैं पुन: बीमार पड़ गए। इसी बीच में बैग गणित में अपना कार्य करते रहें। इसी को कहते हैं लग्न, जब हमें कोई कार्य से बेहद प्रेम होता है या हम अपना सपना प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे लिए एक-एक मिनट 1-1 सेकंड बहुत कीमती होता है। रामानुजन जी का तबीयत खराब था, लेकिन उन्होंने फिर भी अपने अभ्यास को जारी रखा। ठीक होने के बाद उनका संपर्क नेलौर के जिला कलेक्टर- रामचंद्र राव में हुआ। रामानुजन के गणित में कार्य से बेहद प्रभावित हैं। क्योंकि रामानुजन को गणित से बेहद लगाव था, वे गणित के कार्य को बेहद लगने से करते थे।
उन्होंने रामानुजन की आर्थिक मदद भी की। वर्ष 1952 में उन्हें मद्रास में चीफ अकाउंटेंट के ऑफिस में क्लर्क की नौकरी मिल गई। ऑफिस का कार्य जल्द पूरा करने के बाद गणित का रिसर्च करते रहते। आज आप देख सकते हैं, आज के मनुष्य के पास गुण टैलेंट, होने के बाद भी 9 to 5 की जॉब में लगे रहते हैं। लेकिन रामानुजन काम करने के साथ ही साथ वे अपने गुणों पर रोज कार्य करते रहते थे। इसके बाद में इंग्लैंड चले गए। वहां उनके कार्य को खूब प्रशंसा मिली। उनके गणित के अनूठे ज्ञान को खूब सराहना मिली।
वर्ष 1918 में उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज कैम्ब्रीज का फेलो चुना गया। पहले भारतीय थे, जिन्होंने इस सम्मान के लिए चुना गया था।
मैं बहुत मेहनती एवं धुन के पक्के थे। कोई भी विषम परिस्थिति, आर्थिक कठिनाइयां, बीमारी एवं अन्य परेशानियाँ उन्हें अपनी धुन से नहीं दिखा सके। उनके मेहनत और लगातार प्रयास से ही वे वे सफल हुए।
आधुनिक विश्व के महान गणितज्ञ में शुमार किया जाता है। मात्र 32 वर्ष की छोटी सी उम्र में ही इस प्रतिभाशाली व्यक्ति का देहावसान हो गया। दुनिया ने एक महान खो दिया। आज भले ही वह हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनका कार्य उनका गणित की खोज आज भी पूरे विश्व में चर्चित है।
धन्यवाद
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