ख़्वाब लेकर उभरती है, जिंदगी
मन में भाव लेकर पनपती है, जिंदगी
आसमान को छू लेने की
जिजीविषा है जिंदगी
चिंतक -सी प्रतिमा है जिंदगी।
हर पल की मुस्कान है जिंदगी
अच्छा अवसर की चाह है जिंदगी
हर मकसद की पहचान है जिंदगी
रेत कक घरौंदा -सी है जिंदगी
आसमान को छू लेने की
जिजीविषा है जिंदगी।
हर वक्त जिजीविषा में
मैं उड़ना चाहती हूँ
जीवन के हर उमंग को
मैं जीना चाहती हूँ
जीवन की हर अभिलाषा को
पूर्ण करना चाहती हूँ
जीवन के हर प्रतिस्पर्धा से
स्पर्धा करना चाहती हूँ
सर्वव्यापी से मैं जीवन जीना चाहती हूँ
प्रेम - प्रतिमा बन जीवन जीना चाहती हूँ।
धन्यवाद
काजल साह
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