शांति वह खास हिस्सा है जीवन का.. जिससे जीवन का रथ सुंदर भांति से आगे बढ़ता है। शांति वह सुंदर एहसास है जिससे मन सकारात्मक की ओर बढ़ता है। शांति वह सच्चा मित्र है.. जिससे जीवन में सादगी और चमक आ जाती है।
क्या आप भी जीवन को शान्तिमय तरिके से जीना चाहते है? क्या आप भी जीवन को सादगीपूर्ण से जीना चाहते है? क्या आप भी प्रेम, करुणा और उत्साह के साथ जीवन जीना चाहते है?
आज मैं आपको बताने वाली हूँ कि कैसे आप शान्तिमय जीवन जी सकते है? कैसे आप अपने जिंदगी को शान्तिमय धारा में ला सकते है? कैसे आप जीवन के स्ट्रेस से दूर हो सकते है।
दिए गए टिप्स को जरूर ही अपने जीवन में अपनाये.. आपका भी जीवन शान्तिमय और करुणापूर्ण हो सकता है।
1. अभ्यास :जीवन में कई बार उन्नति तक हम इसलिए हम पहुँच नहीं पाते.. क्युकी हम अपने जिंदगी को पास्ट में जीते है। इसलिए पास्ट का दुख हमें हमारे प्रेजेंट को नष्ट करता है। इसलिए यह जरुरी है कि अगर आप शान्तिमय और उन्नतिपूर्ण जीवन चाहते है.. तब आप वर्तमान में जीवन जीना सीखे। विवेकानंद जी ने भी कहा था..आज आप जैसे है अपने अतीत के वजह से और आगे जैसे आपका भविष्य होगा आपके वर्तमान से। इसलिए अगर आप शान्तिमय और उत्साहपूर्ण जीवन जीना चाहते है.. तब वर्तमान में जीना सीखे। जीवन ना तो अतीत में है ना ही भविष्य में। जीवन तो वर्तमान में है। इसलिए वर्तमान में जीना सीखे।
2.सरल :जीवन में निराशा, चिंता और असफलता कई बार इसलिए मिलती है.. क्युकी हम अपने जीवन में ऐसे बहुत सारे चीज़ों को स्थान दे देते है.. जो अनावश्यक है.. जो महत्वहीन है.. जो अनुचित है। यह सभी हमारे जीवन में दीमक बनकर हमारा आत्मविश्वास, आत्मज्ञान को धीरे -धीरे नष्ट पहुँचाते है। जिससे जीवन में शांति के स्थान पर निराशा अपना घर बना लेती है। जीवन को सरल बनाये। अपने जीवन से सारे distraction को दूर करे। जीवन को जितना हो सके.. सरलता से जिए.. सुगमता और उत्तम से जीने का प्रयास करे।
3. तय : आपका ऊर्जा और आपका समय आपके लिए सबसे अनमोल तोहफा है। जिस प्रकार हम जब 100 रूपये खर्च करने से पहले सोचते है। तब यह कार्य हम क्यों अपने समय और ऊर्जा के साथ क्यों नहीं करते?हम क्यों अपना समय व्यर्थ के कार्य और व्यर्थ के लोगों में व्यतीत करते है? अपने जीवन में सीमा तय करे। अपने एनर्जी और समय का सही उपयोग करे। शान्तिमय जीवन का सबसे कारगार तरीका अपने जीवन को भौतिक जीवन से अध्यात्मिक जीवन में लाने का प्रयास करे। अपने समय का उपयोग सकारात्मक लोगों के साथ बिताये। जैसे कि आप जानते ही होंगे कि हमारे जीवन में संगत का बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए ऐसे लोगों के साथ समय बिताये जिससे आपको और उनको अर्थात दोनों को सकारात्मक मिले।
4. अकेले :स्वामी जी ने कहा था.. अगर आप स्वयं के साथ समय नहीं बिताते.. तब आप दुनिया के सबसे बेहतरीन इंसान को आपने खो रहे है। ऐसे महान विचारक, बुद्धिजीवी के जीवन से हमें सीखना चाहिए। स्वयं के साथ समय बिताये.. अपने करियर को रिफ्लेक्ट करे।स्वयं का विश्लेषण करे। यकीन मानिये जब आप स्वयं के साथ समय बिताते है.. तब आपको आंतरिक शांति और ख़ुशी मिलती है। कितनी दुखी की बात है ना.. दूसरों से बात करने का समय है लेकिन जब स्वयं के साथ बात करने का सारा लाइन व्यस्त है।
शान्तिमय जीवन के लिए सबसे पहले आपको कंप्लेंट करने की आदत को अपने जीवन से दूर करना होगा।भगवान को और उन लोगों को हमेशा धन्यवाद करे..जिससे आप जीवन को सादगी से जी पा रहे है।
ध्यान :दूसरों को ध्यान रखते -रखते.. हम अपना ध्यान रखना ही भूल जाते है। हम यह क्यों भूल जाते है.. कि हमारा भी जीवन है।स्वयं को ध्यान रखे.. फिजिकल, इमोशनल और मेन्टल हेल्थ का ध्यान रखे। अपने फिजिकल, इमोशनल और मेन्टल हेल्थ के विकास में रोजाना सक्रिय रूप से कार्य करे। आपका रोज 1% एफर्ट एक दिन आपको बहुत आगे बढ़ाएगा।
क्षमा : गाँधी जी जिन्हें हमें अहिंसा के पुजारी कहते है। गाँधी जी के शब्दों में "मेरी निष्ठा का सबसे पहला सूत्र अहिंसा है और वह मेरा अंतिम सिद्धांत भी है।गाँधी जी के शब्दों में अहिंसा का वास्तविक अर्थ यह है कि हम सशक्त होते हुए भी पशुबल का सहारा न ले दंड देने की शक्ति रखते हुए भी क्षमा सीखें। जीवन में किसी हिंसा, घृणा को स्थान ना दे। जीवन को सरलता से जीने का प्रयास करे। जितनी भी गलतियां आपने की है.. अभी तक सब के लिए स्वयं को माफ़ करे। गलतियों से सबक ले। और उन गलतियों को रिपीट ना करे। अगर किसी ने अन्य ने आपका साथ गलत किया है... तब सभी को क्षमा कर दे। क्षमा में वह शक्ति है... जिससे आपके जीवन से नकारात्मकता दूर होने लगती है.. आप जीवन को शान्तिमय और सकारात्मक से जीने लगते है।
दया भाव : आज मनुष्य के अंदर मनुष्यता मिटती जा रही है। मनुष्य में जो करुणा, दया की शक्ति अब धीरे वह हवस, नफ़रत में बदल रही है।मानव जीवन बहुत दुलर्भ से प्राप्त होता है..इसलिए जीवन में सभी के प्रेम भावना रखे। हम मानव है.. मानव में फीलिंग्स होता है।दूसरों के प्रति दयाभाव रखे और दूसरों के तकलीफ को समझे। जब आप दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करते है.. तब यकीन मानिये आप अपने जीवन को हार्मोनी और पीस की ओर अग्रसर करते है।
नेचर :ईश्वर का सबसे सुंदर कृति प्रकृति। प्रकृति अर्थात पर्यावरण हमें शांति, सादगी,सौंदर्य और स्नेह सिखाती है। मैं आपको खुद का अनुभव साझा करना चाहती हूँ.. प्रकृति में टाइम स्पेंड करने से आप सारे चिंताओं, परेशानी को भूलकर जीवन के असली सुंदरता को पहचान पाते है। इसलिए जब भी आपको छुट्टी मिले.. तब ऐसे स्थान पर जाये जहां आप कुछ समय भगवान का सबसे सुंदर तोहफा प्रकृति के साथ समय व्यतीत कर पाए।
रिश्ते : कल ही मैंने प्रेम पर आर्टिकल लिखा था। प्रेम क्या है.. प्रेम कामवासना नहीं..प्रेम अनंत है.. प्रेम तन से नहीं प्रेम मन से होता है। स्वयं को ऐसे रिलेशनशिप से दूर कर दे.. जो आपके शांति, ख़ुशी को भय कर रहा है। वास्तविक में आज राधा और श्री कृष्ण, राम और सीता की तरह प्रेम नहीं है। आज प्रेम बॉडी, खूबसूरती मांगती है। यह प्रेम नहीं यह हवस है। ऐसे रिश्ते से दूर हो जाये। मेरे हिसाब से वास्तविक प्रेम हमें अपने सपनों और ईश्वर से करना चाहिए।
धैर्य :धैर्य शक्ति है.. इससे जीवन में अपनाये.. आप आगे ही बढ़ेंगे। आप अपना कर्म करते रहिये और ईश्वर में विश्वास.. अपने मेहनत पर आस। एक दिन जरूर आप जरूर सफल होंगे।
यह कुछ तरिके है.. जिससे आप जीवन को शांतिपूर्ण से जी सकते है। जीवन में उत्साह, उमंग आउट उल्लास के साथ जीवन की गरिमा को जी सकते है। विश्वास रखे.. स्वयं पर.. भगवान पर। सब अच्छा होगा।
धन्यवाद
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