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31/08/2021 Vishwajeet Kumar rajak Nature Views 693 Comments 0 Analytics Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
हरी हरी खेतों में बरस रही है बूंदे

हरी हरी खेतों में बरस रही है बूंदे, खुशी खुशी से आया है सावन, भर गया खुशियों से मेरा आंगन। ऐसा लग रहा है जैसे मन की कलियां खिल गई, ऐसा आया है बसंत, लेकर फूलों की महक का जशन। धूप से प्यासे मेरे तन को, बूंदों ने भी ऐसी अंगड़ाई, उछल कूद रहा है मेरा तन मन, लगता है मैं हूं एक दामन। यह संसार है कितना सुंदर, लेकिन लोग नहीं हैं उतने अकलमंद, यही है एक निवेदन, मत करो प्रकृति का शोषण।

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