ओ मेरी चाँद
हूँ, मैं तेरा शान
चमकते दिवाकर की रश्मि तू
हर वार की पहली शुरुआत तू
जीवन के हर तिमिर का अंत तू
सरिता में हर सरल डगर तू
उपवन में खिली सुमन तू।
मृदु भावों से भरा एहसास तू
मेरी प्रियतम मदिरालय की मदिरा तू
मेरी निराशा की आशा तू
मधुर भावनाओं की सुमधुर धुन तू
मेरी जीने की अभिलाषा तू
ओ मेरी चाँद
हूँ, मैं तेरा शान।
हर ललित कल्पित स्वप्न की वास्तविकता तू
मधुरव से मधु की मादकता
मेरी जीने की हर आरजू तू
दग्ध हृदय की काव्य तू
मेरी हर कलम की शक्ति तू
ओ मेरी हृदय
मेरी शान है तू।
बना पुजारी प्रेमी मैं तेरा
बनी तू मधु के प्यालों की माला
बिना जाने जो बुरा तुझे कहा
वह मतवाला
जगती मेरी हृदय में
तेरी प्यारा की ज्वाला
एकबार गले जा मेरी मधुशाला
ओ मेरी चाँद
हूँ, मैं तेरा शान।
धन्यवाद
काजल साह : स्वरचित
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