रो रही हूँ मैं खुद की जिंदगी पर दर्द सह रही हूँ खुद की जिंदगी का फाड़ डाला है मेरा वस्त्र उन दरिदों ने अपने शौक पूरा करने के लिए माँ ने पाला था, मुझे बड़े प्यार से पिता में किया था मेरी सारी इच्छाओं को पूरा डर सा लग रहा है अब मुझे गिरकर फिर से उठने में फिर भी मैं उठूंगी दरिदों को सजा दूंगी मैं इंसाफ लुंगी हर बेटी को सीख दूंगी ना डरना है तुझे किसी से खड़ा होना है अपने पैरों पर मुझे इंसाफ मिलेगा तो तूझे भी अपने हक के लिए लड़ना होगा..। धन्यवाद काजल साह