भरोसा जिसे हम विश्वास, यकीन,अक़ीदा इत्यादि कई नामों से जानते है। प्रश्न यह है कि भरोसा (believe )क्या है? भरोसा एक ऐसा भावनात्मक संबंध है जो दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच बनता है। भरोसा का आधार सम्मान, सच्चाई एवं आस्था है। भरोसा एक ऐसा अटूट बंधन है जो समर्थन, एक -दूसरे के साथ खड़े होने की प्रेरणा देता है। लेकिन क्या परिभाषा केवल जब हम किसी अन्य व्यक्ति पर भरोसा करते है.. उनके लिए है।
दूसरा प्रश्न यह है कि स्वयं पर विश्वास करना अर्थात सेल्फ बिलीव का परिभाषा क्या है?
सेल्फ बिलीव वह दर्पण है जिसमें हम स्वयं को देखते है और खुद को प्रतिबिंबित करते है। सेल्फ बिलीव वह पवन है जिससे हम अपने सपनों को पूर्ण करने के लिए उड़ान भरने के लिए तैयार हो जाते है । सेल्फ बिलीव वह शक्ति है जिससे हम सफलता की शिखर पर शीघ्र ही पहुँच जाते है।
सेल्फ बिलीव एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें हम अपनी क्षमताओं, योग्यताओं और मूल्य पर विश्वास करते है। भरोसा वह आत्मविश्वास का भाव है जो हमें हर मुसीबतों का सामना करने, अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।
खुद पर भरोसा वह कुंजी है जो सफलता के दरवाजे को खोलती है।
खुद पर भरोसा वह बुलंद आवाज़ है जो हमें अंदर से प्रेरित करती है। खुद पर भरोसा एक ऐसा सशक्त गुण है जो जीवन के हर पहलु में सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। खुद पर जब भरोसा करते है.. तब बेहतरीन निर्णय, अधिक प्रभावी ढंग सेंड स्वाद करने, सकारात्मक चिंतन -मनन कर पाते है।
आज के हर युवा चमकते हुए वह सितारे है.. जिससे हमारा देश आसमान के भांति जगमगा उठेगा।हर सफल व्यक्ति की कहानी है.. कि उन्होंने स्वयं पर भरोसा किया, अपने लक्ष्य पर भरोसा किया, अपने मेहनत और प्रयास पर निरंतर रूप से उन्होंने भरोसा किया। यही कारण है कि उन्होंने अपने लक्ष्य की प्राप्ति की।
जब तक आप खुद पर भरोसा नहीं करेंगे.. तब तक आप कभी भी अपने लक्ष्य तक पहुँच नहीं सकते है। आज मैं आपको इस आर्टिकल के माध्यम से यह बताने वाली हूँ कि आप खुद पर भरोसा कैसे कर सकते है अर्थात सेल्फ बिलीव को शक्ति बनाकर अपने आत्मविश्वास, आत्मज्ञान, आत्मविश्लेषण की शक्ति को कैसे आप वृद्धि कर सकते है। आज के बताये हुए टिप्स को जरूर फॉलो करे.. आपको अच्छा परिणाम मिल सकता है।
1. पास्ट : मैं आपसे कहती रहती हूँ कि पास्ट को फ़ास्ट से भूल जाना चाहिए। लेकिन पास्ट के उन मोमेंट्स को भूल जाये.. जो आपके लिए अच्छा नहीं था। आप पास्ट के उस मोमेंट को याद करे.. जो आपके लिए सुखमय और आंनदपूर्ण था। जब भी आपका आत्मविश्वास खोने लगे, जब भी आपको निराशा महसूस होने लगे। तब अपने विश्वास को जगाने के लिए स्वयं को उन क्षण को याद दिलाये.. जिससे आपका आत्मविश्वास बढ़ पाए।
2.गोल : किसी पूछा कि गोल क्या है? लक्ष्य क्या है? मैंने कहा है कि गोल वह शक्ति है जो आप में अच्छी आदतों को अच्छा शेप प्रदान करती है और आपके जीवन से बुरी आदतों को त्याग करने की सीख देती है। किसी भी लक्ष्य तक पहुँचने के लिए सबसे जरुरी यह है कि आप खूद पर भरोसा करे.. अपने मेहनत पर.. अपने निरंतर प्रयास और अभ्यास पर। लेकिन कई बार जब लक्ष्य बड़ा होता है.. तब विश्वास अर्थात सेल्फ बिलीव की शक्ति टूटने लगती है। महत्वपूर्ण कार्य अर्थात जो सीढ़िया हमें लक्ष्य तक पहुँचाने वाली थी.. उसे हम बीच में ही त्याग देते है। देखिये जितना बड़ा लक्ष्य होगा.. अत्यधिक अभ्यास, मेहनत करने की आवश्यकता है। आपको हार कभी नहीं मानना है.. अपने विश्वास को कभी भी डिगने नहीं देना है।
वरदान मांगूंगा नहीं
यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल -तिल मिटूंगा
पर दया की भीख में लूंगा नहीं
वरदान मांगूंगा नहीं
अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए आपको अपने गोल्स को छोटे -छोटे पार्ट अर्थात स्माल गोल्स में बाँटे। जब आप स्माल गोल्स को कम्पलीट कर लेते है, तब आपका आत्मविश्वास में वृद्धि होने लगती है। इसलिए भरोसा करे.. खुद पर एक दिन जीत जरूर आपकी होंगी।
3. समझे : स्वयं को समझना बहुत जरुरी है। जब तक आप खूद के कमजोरी, ताकत को नहीं समझते.. तब आप उन्नति तक नहीं पहुँच पाते है।किसी ने क्या खूब कहा है कि सभी से बात करने का समय है लेकिन खुद से बात करने के लिए हर लाइन व्यस्त है। जब भी खुद से गलती हो जाये, तब स्वयं के अत्यधिक बुरा व्यवहार ना करे। सबसे पहले अपने व्यवहार का कारण जाने। स्वयं को अच्छे से समझे। रोजाना सुबह उठने के बाद एवं रात को सोने से पहले सकारात्मक affirmation कहे।
4.फेलियर : किसी ने पूछा कि सफलता क्या है? उत्तर मिला कि अनेक असफलताओं से मिली सीख और स्वयं में सुधार लाने का बारम्बार अभ्यास ही सफलता है। जीवन में असफल होना जाना गलत नहीं है.. लेकिन स्वयं पर अफलता से सीखा नहीं लेना यह गलत है। जीवन में जब भी हम असफल हो जाते है.. तब हम अपना आत्मविश्वास सब खोने लगते है। जिससे हम केवल प्रॉब्लम की ओर ही देखते है। लेकिन जब हमें स्वयं पर भरोसा हो तब असफल होने के बाद भी उस असफलता को हम लर्निंग के रुप में देखते है। सकारात्मक रुप में देखते है। उस असफलता के लर्निंग को सक्सेस तक पहुंचने की सीढ़ियों के भांति देखते है। किसी ने क्या खूब कहा है मैदान में हारा हुआ व्यक्ति फिर से जीत सकता है लेकिन मन से हारा हुआ व्यक्ति कभी नहीं जीत सकता है। इसलिए भरोसा रखे... हर परिस्थिति में.. हर कठिनाइयों में.. हर जीत में.. हर हार में.. हार अभ्यास में.. अपने हर मेहनत में। एक दिन जीत जरूर आपकी होगी।
सकारात्मक : विवेकानंद जी की पुस्तक व्यक्तिगत विकास में एक विषय में प्रश्न था कि चरित्र का विकास कैसे करे। विवेकानंद जी ने कह कि चरित्र का विकास बारम्बार सकारात्मक सोच,सकारात्मक कार्य, सकारात्मक एक्शन और सकारात्मक लोगों के साथ समय। जीवन में संगत का बहुत पड़ा असर पड़ता है। इसलिए अपने मित्रों को सोच -समझकर ही चुने। ऐसे मित्रों को चुने जिससे आपको सकारात्मक ऊर्जा मिलती हो। ऐसे लोगों को चुने.. जिससे आप दोनों में आगे बढ़ने के जूनून और मेहनत करने के लिए निरंतता हो। अगर आप ऐसे मित्रों को चुनते है जिनके जीवन में कोई बड़ा लक्ष्य नहीं है। यह मित्र नहीं यह कुमित्र है.. इससे आपका हनन ही होगा।सकारात्मक लोगों से सकारात्मक ऊर्जा मिलता है। यह ऊर्जा ही हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाती है। विवेकानंद जी ने आगे लिखते है अगर आप अपने जीवन में सकारात्मक कार्य, सकारात्मक लोग, सकारात्मक विचारों को अपने जीवन में आत्मसात कर लेते है। अपने बारम्बार अभ्यास से। तब आप यकीन मानिये जब भी आपके मन में बुरा करने या सोचने की इच्छा होंगी... तब यह आपका बारम्बार अभ्यास आपका परम मित्र बन जाता है। आपको नकारात्मक की ओर बढ़ने नहीं देता। लेकिन सबसे पहले अपने पॉजिटिव के पावर को आपका मजबूत करने की आवश्यकता है।
प्रॉमिस : वादा करे.. खुद से कि आपने जो भी लक्ष्य का स्वप्न देखा है। उसे आप जरूर पूरा कीजियेगा। आपको स्व से आगे बढ़ना है। उदाहरण के लिए आज आपने निर्णय लिया है कि आज आप 5 गोल्स को कम्पलीट करेंगे लेकिन आपने 7 गोल्स को कम्पलीट कर लिए। तो आपने देखा ना कि आप कैसे स्व से आप आगे निकल गए। स्व से अर्थात जब हम अपने मन से आगे निकल जाते है। तब असली जीत की हमें प्राप्त होती है। रोज खुद को चैलेंज करे.. यह रोजाना चैलेंज ही आपको लेजेंड बनाएगी।
प्रोग्रेस : जब आप अपने निर्णय किये हुए.. गोल्स को पूरा कर लेते है। जब आप अचीवमेंट करते है। तब अपने ग्रोथ, अभ्यास, प्रयास को सेलिब्रेट करे। स्वयं को प्रोत्साहित करने के लिए रिवॉर्ड दे। यह सेल्रेब्रेशन स्वयं के साथ होना चाहिए। यह छोटा-छोटा रिवॉर्ड सिस्टम से आपका विश्वास स्वयं अत्यधिक रूप से बढ़ने लगता है। आप सकारात्मक दिशा की ओर अग्रसर होने लगते है।
भगवान : अध्यात्मिक वह प्रेमपूर्ण माध्यम है जिससे आपका फीलिंग, थॉट्स, व्यवहार एक सही दिशा की ओर बढ़ता है। रोजाना ईश्वर को याद करने से, मैडिटेशन करने से आप बहुत ऊर्जापूर्ण, उत्साहपूर्ण और शक्तिपूर्ण महसूस करते है। इसलिए अपने जीवन में स्पिरिचुअल को स्थान जरूर दे।
नो : जो कार्य जरूर नहीं है उसे ना करना अर्थात no करना सीखें। हर कार्यों के लिए हाँ - हाँ करने से हमारा आत्मविश्वास खोने लगता है। क्युकी हम ऐसे कार्यों को भी हाँ बोल दे देते है.. जो जरुरी नहीं.. जिससे हमारे ऊर्जा और समय ही बर्बाद होता है। जिसका प्रभाव हमारे सेल्फ बिलीव पर पड़ता है। इसलिए जो कार्य महत्वपूर्ण नहीं उसे नहीं बोलना सीखें। अपने शक्ति और समय की कद्र करे।
केंद्रित : हम जानते है.. पृथ्वी पर कोई भी प्राणी परफेक्ट नहीं है। सब में कमियां है। लेकिन सोचिये जरा जिसने यह सोचा होता कि मुझे ड्राइंग बनाने नहीं आता.. तब मैं बिज़नेस कैसे करूं? लेकिन कोई भी सक्सेसफूल व्यक्ति यह नहीं सोचते.. वे अपने मजबूती पर ध्यान देते है। सिर्फ कमजोरी पर नहीं। अगर आप केवल कमजोरी पर ध्यान देते रहिएगा और अपने शक्ति पर नहीं.. तब आप जीत की ओर नहीं बढ़ पायेंगे.. इसलिए जरुरी है कि आप अपने मजबूती पर ध्यान दे और अपने कमजोरी को सुधारने में ध्यान दे... यह प्रक्रिया के माध्यम से आपका विश्वास बढ़ेगा।
एक दिन जीत जरूर आपकी होंगी। ❤️
धन्यवाद
काजल साह
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