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10/04/2024 Kajal sah Bravery Views 211 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
नॉलेज ऑफ़ सिंबल
भविष्य जन्म से नहीं कर्म से तय होता.. इस संकलिल्प विचारों से भरे अम्बेडकर जी.. जिनका संघर्षो और चुनौतियों से पूर्ण था। जिन्होंने बहुत दर्दनाक पीड़ा बहुत ही कम उम्र में सहना सीखा लिया। वह कहते है ना जो परेशान माहौल से बाहर निकलकर बाहर आता है.. तब उनमें वह दिखावटीपन, घृणा नहीं होती। उनमें ललक होती है..समाज बदलने की.. समाज के बुराइयों को खत्म करने की। एक ऐसे युगपुरुष, युगप्रवर्तक, युगनिर्माता और कर्मशील योद्धा जिनका पूरा जीवन सम्पूर्ण जीवन समाज एवं लोगों के लिए था।
एक ऐसे अनुपम व्यक्तित्व जिन्हें 9 भाषाओं का ज्ञान था... एक ऐसे मनमोहक व्यक्तित्व जिनके पास 32 प्रकार की डिग्रीयाँ थी... एक ऐसे अद्भुत व्यक्तित्व जिन्होंने विदेश जाकर अर्थशास्त्र में पीएचडी करने वाले प्रथम भारतीय थे... एक ऐसे उदार व्यक्तित्व जिन्होंने स्व की परिधि लांग कर पर के लिए कार्य किया। लेकिन फिर भी समाज के लोग उनसे घृणा, नफ़रत करते थे।आपको पता है? क्युकी वे महार जाति से थे। उस समय बड़े जात के लोग उन्हें एक बार नहीं बार -बार एहसास दिलाया जाता कि तुम छोटे जात को। उन्होंने पूरा जीवन संघर्ष किया.. लेकिन वे रुके नहीं झुके नहीं... क्युकी उनका इरादा पक्का था... उनका लक्ष्य पक्का था.. इस देश को बदलना समाज को बदलना।
उन्होंने अपने दृढ़ सपने और कर्मठ सपने को साकार किया। यह सभी वे समाज में बदलाव ला पाए.. अपने दृढ़ संकल्पपूर्ण सोच और सबसे सशक्त हथियार और ऊर्जापूर्ण हथियार केवल शिक्षा... केवल शिक्षा। उनका मानना था... कि शिक्षा शेरनी का वह दूध है जो पियेगा वही दहाड़ेगा। इसलिए खूब पढ़िए.. अगर आज अपने जीवन में किताबों को स्थान दे दिया.. तब वास्तव में आपका समय बदलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। इसका सबसे अच्छा उदाहरण डॉ भीम राव जी अम्बेडकर जी। आज इस महान इंसान के जीवन से हम क्या सीख सकते है.. इनके सम्पूर्ण जीवन से हम बहुत कुछ सीख सकते है। लेकिन आज मैं आप सभी के कुछ सीख प्रस्तुत करने वाली हूँ। जिससे मेरे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ा है। जब भी मैं डॉ भीम राव जी के बारे में बढ़ती हूँ, सोचती हूँ। तब यकीन हो जाता है  डॉ भीम राव जी को संघर्ष भी रोक नहीं पाया... जिन्हें 21 वीं सदी का क्रन्तिकार कहना सही है। आज चलिए सीखते है unstoppable मैन के जीवन और संघर्ष से।

1. शिक्षा : पानी में गिरने से मृत्यु नहीं होती नहीं होती... मृत्यु तो तब होती है.. जब हमें तैरना ना आता हो। जब एग्जाम आने से पहले जो विधार्थी अच्छे से तैयारी  करते है..वह बालक ही पानी में तैरना भी सीखा जाता अर्थात वे एग्जाम में सफल होना भी। विवेकानंद जी ने कहा था जीवन का अंतिम लक्ष्य ज्ञान होना चाहिए। क्युकी ज्ञान वह माध्यम है .. जिससे आप स्वयं में बदलाव और उन्नति  ला सकते है । जरा सोचिये क्या था.. जितना आपके पास उसे सैकड़ो गुणा कम। लेकिन उनमे विद्या ग्रहण करने की प्रयास इतनी थी... ललक इतनी थी। वह गरीब दलित बच्चा   भारतीय सविंधान के निर्भता बन गया। वे रोज 14-18 घंटे रोज पढ़ा करते थे। उनके जीवन की सबसे अनमोल और महत्वपूर्ण लर्निंग पढ़िए। स्वयं को शिक्षित कीजिये। क्युकी शिक्षा में ही वह शक्ति है.. जिससे आपका व्यक्तिगत और सोसाइटी का विकास होता है। इसलिए हमे याद रखे.. शिक्षा पावर है .. जो आप में शक्ति का संचार करती है। शिक्षा ही वह हथियार है... जिसे आपका आत्मविश्वास, आत्मज्ञान बढ़ता है। इसलिए खूब पढ़िए।
बाबा साहब की की यह बात हमेशा याद रखे... जिससे अपने दुखो से मुक्ति चाहिए.. उसे लड़ना होगा। जिससे लड़ना है.. उसे पढ़ना होगा। अगर बिना ज्ञान के जायेगे तो हार पक्की है। इसलिए पढ़िए। और पेरेंट्स यह कहना चाहती हूँ एक रोटी कम खाये लेकिन बच्चों को जरूर पढ़ाये।

2. समाज : हम समाजिक प्राणी है.. केवल व्यक्तिगत के लिए जीना यह गलत है। बाबा साहब सफल होने के बाद भी शिक्षित होने के बाद भी उन्हें समाज में निहित कुप्रथाओं को मिटाने का प्रयास किया। उन्होंने सुख सुविधा को त्याग कर दूसरों के हित के उन्होंने पूरा जीवन न्योछावर कर दिया। आज महिलाएं हर क्षेत्र में कार्यरत है, आज जो जॉब करते है उन्हें 12 घंटे नहीं 8 घंटे कार्य करना पड़ता है। यह समाजिक सुधार अम्बेडकर जी ने किया। उन्होंने कहा था कि महान पर्यन्त छोड़कर इस दुनिया में कुछ भी आनंदित नहीं है। वे समाज में इसलिए परिवर्तन ला पाए.. क्युकी पहले उन्होंने खुद में बदलाव लाया। व्यक्तिगत विकास में उन्होंने सक्रिय रूप से ध्यान दिया। याद रखे मैं आपसे यह कह रही हूँ कि अगर आप केवल अपना सोचते है और सम्पूर्ण जीवन अपने स्वार्थ के लिए जीते है। तब यह गलत है। लेकिन जब आप अपने विकास के साथ समाज में उपस्थिति कमियों को दूर करने का प्रयास करते है ।लेकिन आज वर्तमान में केवल जय श्री राम कहने से हम अपने देश को उन्नति के राह पर, देश की कमियों को दूर नहीं कर सकते है। इसलिए यह झूठा देशभक्ति प्रदर्शन है, इसलिए ऐसा करना बंद करे। अपना योगदान देश के विकास में सक्रिय रूप से अदा करे।

3.संघर्ष :आप जितना ज्यादा संघर्ष करते है.. उतना ज्यादा आप जीवन में हर्ष प्राप्त करते है। किसी ने क्या खूब कहा है जो जितना बिखर कर आगे बढ़ता वह उतना ही निखरता है। बाबा साहब जी का पूर्ण जीवन संघर्षपूर्ण रहा.. लेकिन वे कभी रुके नहीं कभी झुके नहीं। उन्होंने हर परिस्थितियों का सामना डट के किया। इसलिए  हम उन्हें unstoppable man कहते है। उनके जीवन से हर युवाओं को सीखना चाहिए.. निरंतर संघर्ष करने की ललक। परिस्थितियों से मन की स्थिति क़ायम रखकर सामना करना चाहिए।सोचिये जरा आज आपके पास सैकड़ो सुविधा है और सैकड़ो समान है। लेकिन भीम राव जी के पास कुछ नहीं अर्थात शून्य। लेकिन उनके अंदर विद्या ग्रहण करने की ललक इतनी थी.. प्रयास इतनी थी कि एक निर्धन दलित बालक आगे चलकर भारत देश के निर्माता बन गए। उन्होंने हम सभी से कहा है..महान प्रयास को छोड़कर इस दुनिया में कुछ नहीं। इसलिए जब तक लक्ष्य तक ना पहुंच जाए.. तब तक संघर्ष करते रहे।

शार्ट कट : समय आगे बढ़ने के कारण.. मनुष्य के अंदर कार्य करने की क्षमता कम होते जा रही है। कहने का अर्थ है.. तकनीकी के आगमन से मनुष्य अब हर कार्य में शार्ट कट ढूंढ़ रहा है। लेकिन हमेशा याद रखे.. अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए कोई शार्ट कट नहीं... आप जितना मेहनत करते.. अपने सपने के लिए खुद को झोंक देते है.. आप  शीघ्रता से अपने लक्ष्य तक पहुँच जाते है। बाबा साहब जी अपने लक्ष्य अर्थात उनका लक्ष्य था.. समाज एवं देश को बदलना। नकारात्मकता को मिटाना। इन सभी को दूर करने के लिए सबसे पहले उन्होंने स्वयं में उन्होंने सुधार लाया। बाबा साहब के शब्दों में जिन्हें अपने दुखो से मुक्ति चाहिए.. उसे लड़ना होगा। जिससे लड़ना है.. उसे अच्छे से पढ़ना होगा। अगर बिना ज्ञान के जाये तो हार निश्चित है। इसलिए परिस्थितियों का सामना डट कर करे। यह मत सोचे कि ईश्वर ने आपको कुछ नहीं दिया.. अपितु अगर आपके अंदर मेहनत की शक्ति है.. तब किसी भी लक्ष्य, किसी भी क्षेत्र में बेहतरीन मेहनत के ज्वाला से बन सकते है। आप ऊँची उड़ान को प्राप्त कर सकते है। इसलिए भरोसा रखे.. एक दिन जीत जरूर आपकी होंगी। लेकिन जब मेहनत का परम् मित्र अभ्यास का गर्व और प्रयास आपका महान होगा। तब कोई मंजिल दूर नहीं..

बाबा साहब ज्ञान के भंडार है.. आपको जान कर ख़ुशी होंगी.. वे एक दिन में 1300 से भी ज्यादा पेज याद कर लेते थे। इसलिए उन्हें नॉलेज ऑफ़ सिंबल कहा जाता है। जीवन में असम्भव कुछ नहीं होता.. जिस दिन आपने यह कहना स्टार्ट कर दिया.. Im possible.. तब जीत जरूर आपकी ही होंगी.. आपके मेहनत और अभ्यास से।

धन्यवाद
काजल साह
                             

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