आज हम सभी पत्थर युग से तकनीकी युग में आ चूके है। लेकिन दुख की यह बात है कि आज भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है। उन्हें डर लगता है.. यह समाज से जब इस समाज के लोग अपने हवस की प्यास बुझाने के लिए लड़कियों के बुरा व्यवहार करते है।मैं सभी लड़कियों से बस यह कहना चाहूंगी.. कि आप शक्ति.. आप हिम्मत से पूर्ण नारी और आप सशक्त है । आपको चुनौतियों से लड़ना.. और लड़कर स्वयं को मजबूत और अन्य सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा बनना है । जैसे -उदाहरण के लिए एक नीचे कविता से आप पढ़ सकते है।
खींची गई है लक्ष्मण रेखा
मेरे सपनों को मारकर
छा गया अंधेरा,
मेरे दुखों को देखकर
ना निकल पाऊँगी मैं
कभी लक्ष्मण रेखा से?
दर्द को घुट -घुट कर पी जाऊँगी,
इस चारदीवारी में..
किसी ने नहीं समझा, मेरी बातों को
और बंद कर दिया मुझे
चारदीवारी में
चाह पढ़ने की थी पर
ना कर पाई अपनी चाहत को पूरा।
इच्छा जाहिर की तो
बंद कर दिया मुझे चारदीवारी में।
घुट -घुट के रों रही है जिंदगी मेरी
अपने माँ -बाप की सोच को देखकर
खींची गई है लक्ष्मण रेखा
मेरे सपनों को मारकर।
धन्यवाद
काजल साह
|