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17/03/2025 Hazzel Story Views 244 Comments 0 Analytics Video Hindi DMCA Add Favorite Copy Link
बाऊजी

जैसे ही बाऊजी जूते पहनकर बाहर जाने लगे, बहू सीमा तेजी से आई और उन्हें थैला थमाते हुए बोली, "बाहर जा रहे हैं तो लौटते समय हरी सब्जियाँ ले आइए।" लेकिन सीमा ने पैसे नहीं दिए। बाऊजी को मजबूरन 500 रुपये का नोट खुद से थमाना पड़ा। बाऊजी ने कहा, "ठीक है, बहू, आते समय ले आऊंगा।" बाऊजी के जाते ही सीमा के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गई। वह मन ही मन बड़बड़ाते हुए बोली, "पैसा नहीं है कहते हैं, लेकिन पेंशन की रकम को अपनी जेब में दबाए रखना चाहते हैं। आते हैं ना, तो अपना 500 वसूल लूंगी।" बेचारे बाऊजी थैले में सब्जियाँ भरकर थकते-हांफते घर लौटे और डाइनिंग टेबल पर रखते हुए चाय मांगी। सीमा चाय ले आई, लेकिन चाय में दूध का नामोनिशान नहीं था, बस पानी का हल्का-हल्का रंग दिखाई दे रहा था। बाऊजी ने दुखी होकर चाय वाशबेसिन में उड़ेल दी। सीमा अक्सर ऐसे ही चालबाजी करती थी, और उसे इस बात का जरा भी अहसास नहीं था कि एक दिन इस व्यवहार का असर गहरा हो सकता है। बाऊजी घर का किराया, बिजली बिल, दूध का पैसा और अन्य जरूरी खर्च खुद ही उठाते थे। सालभर का राशन भी बाऊजी ही खरीदते थे, लेकिन फिर भी सीमा को उनका खाना-पीना खटकता था। बाऊजी का मानना था कि घर में अन्न भरा रहना चाहिए, इससे माँ लक्ष्मी का वास होता है और परिवार सुखी रहता है। सुबह नाश्ता करते समय विजय ने देखा कि बाऊजी की थाली में पनीर नहीं है। उसने सीमा से पूछा, "दूधवाले का पैसा क्यों नहीं दिया?" सीमा ने चिढ़ते हुए कहा, "इस महीने पैसे नहीं दिए, तो एक लीटर दूध आ रहा है, उसमें चाय बनाऊं या पनीर?" विजय को समझ आ गया कि उसकी पत्नी पिता के साथ अन्याय कर रही है। इसके बाद विजय ने खुद दूध लाना शुरू किया और बाऊजी के खाने-पीने का ध्यान रखा। सीमा यह देख कुढ़ती रही और एक दिन झल्लाकर बोली, "सारी कमाई बाऊजी पर लुटा दोगे क्या?" इस पर विजय ने गुस्से में जवाब दिया, "बाऊजी के एक पाव दूध में पानी मिलाते तुम्हें शर्म नहीं आई? उनके लिए पनीर बनाना तक तुम्हें भारी लगता है?" विजय ने उसे समझाया कि बाऊजी ने ही बताया कि वह उन्हें कितनी उपेक्षा से देखती है। विजय की बातों ने सीमा को झकझोर दिया। उसने तुरंत अपने ससुर और पति से माफी मांगी। विजय ने उसे समझाया, "बेटा अगर ठीक हो, तो बहू की हिम्मत नहीं कि वह माता-पिता का अनादर करे। बेटों की उपेक्षा के कारण ही वृद्धाश्रमों का चलन बढ़ता जा रहा है।" अगर यह कहानी पसंद आई हो तो पोस्ट को लाइक और शेयर जरूर करें।

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